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उत्तर प्रदेश में महिलाओं को इस वजह से नहीं मिल रहा बस ड्राइविंग का लाइसेंस

ये तो आप जानते ही होंगे कि बस ड्राइवर बनने के लिए ड्राइविंग का लाइसेंस की जरूरत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यूपी में महिलाओं को बस का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिलता है।
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Women are not getting driving license in Uttar Pradesh due to this reason

UP News : यूपी रोडवेज की बस ड्राइवर बनने आईं महिलाओं की कम हाइट उनकी बाधा बन गई। 16 महिलाओं को कद कम होने के कारण रिजेक्ट कर दिया गया। इस कारण रोडवेज और कौशल विकास मिशन के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले महिला कॉमर्शियल ड्राइविंग का दूसरा ट्रेनिंग बैच शुरू नहीं हो पा रहा है। निमानुसार एक बैच में कम से कम 27 महिलाओं का होना अनिवार्य है। 18 अगस्त तक 46 आवेदन आए पर इसमें से 24 आवेदन किसी न किसी अनिवार्यता के पूरी न होने से खारिज हो गए। इनमें से 16 आवेदकों का कद ही कम रह गया। निर्धारित पांच फुट तीन इंच कद की अनिवार्यता को पूरी नहीं कर पाए।

महिला कॉमर्शियल वाहन ड्राइविंग में अहर्ता

लंबाई         पांच फुट तीन इंच
आयु          अधिकतम 34 साल
योग्यता       कक्षा आठ पास
अन्य कागजात - आधार और बैंक पास बुक की फोटो प्रति। ड्राइविंग लाइसेंस जरूरी नहीं। एलएमवी लाइसेंस है तो तीन महीने की ट्रेनिंग नहीं करनी होगी।

पहले बैच की 17 महिलाएं ले रहीं प्रशिक्षण

रोडवेज और कौशल विकास मिशन ने पहले बैच की ड्राइविंग का प्रशिक्षण पूरा किया था। इनमें से चयनित महिलाओं में से 17 प्रशिक्षण लेने के बाद सूबे के नौ डिपो में रोडवेज बसें चलाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। बैच तो 27 का ही था लेकिन बीच में ही कई महिलाएं छोड़ गईं थीं। जनवरी- 2024 में इनका बस चालन का प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा। इसके बाद इनकी स्थायी रूप से डिपो में तैनाती कर दी जाएगी। प्रशिक्षण के दौरान भी महिलाओं को निर्धारित मानदेय मिलता है।

पिंक बसों में महिला ड्राइवरों की होगी तैनाती

रोडवेज अफसरों ने बताया कि भविष्य में उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में पिंक बसें और संचालित की जाएंगी। इन बसों की स्टेयरिंग महिला ड्राइवरों के हाथों में होगी। इस कारण इनके प्रशिक्षण का फैसला हुआ है।

संतुष्टि के बाद ही आवेदन स्वीकार

विकासनगर के रोडवेज ट्रेनिंग सेंटर के प्रधानाचार्य, एसपी सिंह का कहना है कि इस बार हर स्तर पर जांच पड़ताल के बाद ही उनके आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। लंबाई कम होने से बड़ी संख्या में आवेदन खारिज हो गए। उम्मीद है कि जल्द पांच महिलाओं की संख्या पूरी होते ही दूसरा बैच शुरू करा देंगे।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग कि प्रो. सीमा द्विवेदी ने बताया कि लड़कियों की हाइट इस वजह से कम हो रही है।

1. गर्भावस्था के दौरान इंट्रायूट्राइन ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन का पनपना।
2. जेनेटिक कंपाउंड, खराब खानपान के कारण लड़कियों के पोषण पर ध्यान न देना
3. हाईपोथाइरिजम, खून की कमी, लड़कों की तरह फिजिकल एक्टिविटी न करने देना
4. पेस्टीसाइड ने हार्मोन असंतुलन पैदा कर दिया है, इस कारण लड़कियों की हड्डियों का विकास रुक रहा है.

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