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Wheat Cultivation:गेहूं की अगेती खेती करवा देगी किसानों की मौज, इन किस्मों से किसान हुए खुशहाल

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 3 चरणों में गेहूं की खेती की जा सकती है। जिसमें अगेती मध्य और पछेती खेती को शामिल किया गया है। गेहूं का पहला चरण 25 अक्टूबर से 10 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर से 25 नवंबर तक और तीसरा चरण 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक रहता है। किसान सितंबर के अंत से शुरू करके 25 अक्टूबर तक गेहूं की अगेती फसल की बुवाई कर सकते हैं।बाजार से गेहूं के प्रमाणित बीज ही खरीदने चाहिये.
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Wheat Cultivation: Early cultivation of wheat will make farmers happy, farmers become happy with these varieties

Wheat Cultivation: गेहूं एक ऐसी खाद्य फसल है, जिसका भारत के साथ-साथ दुनिया भर में खाने के लिए उपयोग किया जाता है। भारत भी एक बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। यहां गेहूं के उत्पादन के साथ-साथ बड़ी मात्रा में निर्यात भी किया जाता है। यही मुख्य कारण है किसका उत्पादन बढ़ाने के लिए अगेती गेहूं की खेती करने की सलाह दी जाती है। कई रिसर्च में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन जैसे कई दुष्परिणाम से बचने के लिए गेहूं एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। कई किसान गेहूं की खेती की तैयारी सितंबर में शुरू कर देते हैं। इसके लिए उन्हें अच्छी गुणवत्ता की और बढ़िया उत्पादन देने वाली किस्मों की जरूरत पड़ती है।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 3 चरणों में गेहूं की खेती की जा सकती है। जिसमें अगेती मध्य और पछेती खेती को शामिल किया गया है। गेहूं का पहला चरण 25 अक्टूबर से 10 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर से 25 नवंबर तक और तीसरा चरण 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक रहता है। किसान सितंबर के अंत से शुरू करके 25 अक्टूबर तक गेहूं की अगेती फसल की बुवाई कर सकते हैं।बाजार से गेहूं के प्रमाणित बीज ही खरीदने चाहिये.

डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105) गेहूं की अगेती फसल के लिए सबसे बढ़िया किस्म डब्ल्यू एच 1105 को माना जाता है। यह कसम 157 दिन में 20 से 24 क्विंटल का उत्पादन दे सकती है। गेहूं की इस किस्म का पौधा स्थान में सेंटीमीटर लंबा होता है और कम लंबाई के कारण तेज आंधी और हवाओं से नुकसान हो सकता है।

एचडी 2967 (HD 2967) एचडी 2968 का भी प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है यह एक रोग प्रतिरोधी प्रजाति मानी जाती है जिसमें पीला रतवा की संभावना बहुत कम रहती यह किस्म 150 दिन में 22 से 23 क्विंटल का उत्पादन देती है। इसकी लंबाई लगभग 101 सेंटीमीटर होती है इसी कारण से इसकी कटाई के बाद भूसा बढ़िया निकलता है। यह किस्म पंजाब और हरियाणा की मिट्टी और जलवायु के हिसाब से सबसे उपयुक्त रहती है.

पीबीडब्ल्यू 550 (PBW 550) गेहूं की नई किस्म पीबीडब्ल्यू 550 रोग प्रतिरोधी प्रजाति मानी जाती है। इसकी खेती करने से फसल में मुख्य रोग आने की संभावनाएं कम हो जाती है। एक अनुमान के अनुसार इस किस्म की बुवाई के 145 दिन के अंदर कटाई के लिए तैयार रहे। यह किस्म लगभग प्रति एकड़ 22 से 23 क्विंटल का उत्पादन दे सकती है।

एचडी 3086 (HD 3086) एचडी 3086 गेहूं के मुख्य किस्मों में से आती है जिसमें फसलों में आने वाले लोगों के साथ साथ मौसम खराब होने वाली अनिश्चिताओ भी बचा जा सकता है। इस किसान की फसल 156 दिन में लगभग 23 क्विंटल का उत्पादन दे सकती है। इसकी बुवाई के लिए 55 से 60 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से बीज लगता है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के किसान इस किस्म से खेती करके कम खर्च में बेहतर उत्पादन ले सकते हैं.

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