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शादियों में 7 वचनों का क्या महत्व होता हैं, क्या आप जानते हो इनके अर्थ

7 Vachan: आपको बता दें कि पिछले पांच महीनों से शादी नहीं हुई है, लेकिन अब शादी का सीजन शुरू होने वाला है। अब हम विवाह में प्रयोग किए जाने वाले सात वचनों का अर्थ बताने जा रहे हैं। विस्तार से जानें..
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What is the importance of 7 vows in weddings, do you know their meanings?

Shadi ke 7 Vachan: देवोत्थान एकादशी (या देव प्रबोधिनी एकादशी) को तुलसी विवाह होता है, और उसी दिन से शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। देवशयनी एकादशी से शादियों पर रोक लग जाती है. 23 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी है, जिस दिन से शहनाई बजने लगेगी। यदि आप विवाहित हैं तो आपको विवाह वेदी पर कहे जाने वाले सात वचन याद ही होंगे और यदि आपका विवाह होने वाला है तो आपको इन वचनों को बोलना होगा. वास्तव में, अग्नि के फेरे लगाते हुए वर और वधू सात शब्द बोलते हैं, यानी हर फेरे पर एक शब्द। यह शब्द बहुत पवित्र माना जाता है।

यदि वास्तव में विवाह के समय बोले जाने वाले वचनों और उनकी स्वीकारोक्ति जीवन भर याद रहे तो कभी भी पति पत्नी के बीच झगड़े न हों. साथ ही ये 7 वचन जान लेना उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो विवाह के बाद सात वचनों को भूल चुके हैं. खास बात यह है कि सातों वचन कन्या वर से मांगती है और वर के वादा करने पर ही उसकी वामांगी बनती है.

शादी के 7 वचन -

पहला वचन: कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा को जाओ तो मुझे भी साथ लेकर जाना. किसी व्रत का उद्यापन अथवा अन्य धार्मिक कर्म आदि करें तो आज के समान मुझे अपने बाएं भाग में अवश्य स्थान दें, यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

दूसरा वचन: कन्या वर से दूसरा वचन मांगती है, कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुंब की मर्यादा के अनुसार धार्मिक कार्यों को करते हुए ईश्वर के भक्त बने रहें तो मैं आपके बाम अंग में आना स्वीकार करती हूं.

तीसरा वचन: तीसरे वचन में कन्या देश की भलाई का वचन मांगती है वर्तमान में लोग अपनी सभ्यता संस्कृति तथा वेशभूषा का त्याग कर पाश्चात्य शैली को अपनाने लगे हैं, इसलिए कन्या वचन में मांगती है कि आप चाहे कितना पढ़ लिख जाए, परंतु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को कभी न छोड़ें यदि आप इस वचन को स्वीकार करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

चौथा वचन: कन्या वर से चौथा वचन मांगती है कि अब तक आप घर परिवार की चिंता से पूरी तरह मुक्त थे, अब जबकि आपका विवाह हो गया है, तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करने का दायित्व आपको ही संभालना है. यदि आप इस दायित्व का निभाने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

पांचवा वचन: पांचवें वर में कन्या जो वचन पति से मांगती है वह आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्व रखता है. कन्या वर से कहती है कि अपने घर के कार्यों में, विवाह में, लेनदेन अथवा अन्य किसी प्रकार के शुभ कार्यों में खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मंत्रणा लिया करें, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

छठा वचन: छठे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि यदि मैं मेरी सखियों में अथवा अन्य स्त्रियों के बीच में बैठी हूं तब आप वहां जाकर किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे तथा यदि आप जुआ अथवा किसी भी प्रकार के नशे से अपने आप को दूर रखेंगे तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.

सातवां वचन: कन्या अंतिम तथा सातवें वचन के रूप में वर से वचन मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता और बहन के समान समझें और अपना संपूर्ण प्यार सदा मुझ पर रखेंगे. जीवन के किसी भी मोड़ पर कभी भी क्रोध नहीं करेंगे यदि आप यह वचन देते हैं, तो मैं आपके बाम अंग में आना स्वीकार करती हूं.

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