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उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अवैध कॉलोनी काटने वालों की खैर नहीं, 19 लोगों पर हुई FIR

बिसरख थाना प्रभारी के अनुसार आरोप है कि ग्राम चिपियाना बुजुर्ग के कई खसरा नंबर पर अवैध निर्माण हो रहा है। यह क्षेत्र ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के तहत आता है।
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Those who cut illegal colonies in Greater Noida Uttar Pradesh are not well, FIR lodged against 19 people

Saral Kisan : ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित चिपियाना बुजुर्ग गांव के पास अवैध कॉलोनी काटने पर 19 भूमाफियाओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन पर यह अवैध कॉलोनी बनाई जा रही थी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात सहायक प्रबंधक की तरफ से इस संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ है।

बिसरख थाना प्रभारी अनिल कुमार राजपूत ने कहा कि आरोप है कि ग्राम चिपियाना बुजुर्ग के कई खसरा नंबर पर अवैध निर्माण हो जा रहा है। यह क्षेत्र ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के तहतआता है।

विकास कार्य हो रहे प्रभावित : इसके विभिन्न खसरा नंबर में बिना प्राधिकरण की अनुमति मिली और लैंड यूज चेंज किए अवैध निर्माण हो रहा है, जिसे प्राधिकरण की टीम ने कई बार रोका, परंतु निर्माणकर्ता रात्रि में कार्य करवा रहा है। इस कारण क्षेत्र के समुचित नियोजन और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इन पर मुकदमा दर्ज : राजकुमार, मैसर्स किंग्सन इंफ्रा डेवलपर्स LLP, मैसर्स ग्रीन होम द्वारा मनोज कुमार, मैसर्स जेपीजी टेक बिल्ड एसएलपी, मैसर्स भूमि होम्स द्वारा राजीव कुमार, विपिन कुमार, रोहित चौधरी, मैसर्स 99 होम्स प्रकाश चौधरी, रोहतास, विनोद गिरि, विकास चौधरी, दलजीत, धर्मराज, टीटू कुमार, आसिफ, मैसर्स एण्ड बिल्डर्स द्वारा शारदा, अमरनाथ, न्यू जनरेशन इंक्वायरी प्राइवेट लिमिटेड के रोहित शर्मा आदि मुकदमा दर्ज हुआ है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के आसपास के गांवों की जमीन पर भूमाफिया की काफी नजर है। यहां अवैध प्लॉटिंग और अवैध निर्माण का काम लगातार जारी है। प्राधिकरण की अधिसूचित जमीन पर भूमाफिया कॉलोनी काट रहे हैं। प्रशासन, पुलिस और प्राधिकरण द्वारा बीच-बीच में कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन उसके बाद फिर से यह लोग सक्रिय हो जाते हैं।

शाहबेरी में अवैध निर्माण को लेकर बड़ा हादसा हो चुका है। इस बीच कुछ दिनों के लिए यहां अवैध निर्माण पर रोक लगी, लेकिन चोरी-छिपे फिर से यहां भी अवैध निर्माण किया जाने लगा। प्राधिकरण की तरफ से बीच-बीच में भू माफिया के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए जाते हैं। लेकिन उसके बावजूद भी यह लोग इस अवैध धंधे में लिप्त रहते हैं।

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