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इस शुगर फ्री आलू से हो जायेगी मौज, 150 रुपए किलो से मिलेगा किसानों को 5 गुना मुनाफा!

Sugar Free Potato Farming : किसानों ने बताया कि अब आधुनिक और मेडिकेटेड खेती के साथ पारंपरिक खेती भी बढ़ाई जा रही है। इसके लिए उन्होंने 25 केजी शुगर-मुक्त आलू के बीज को लखनऊ से मंगाया था, जिसकी फसल के बाद दो क्विंटल आलू तैयार हुआ था।

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इस शुगर फ्री आलू से हो जायेगी मौज, 150 रुपए किलो से मिलेगा किसानों को 5 गुना मुनाफा!

The Chopal (Agriculture News) : आलू एक आम सब्जी है, जो हर सब्जी के साथ खाया जाता है। लेकिन इसमें उच्च मात्रा में शुगर और कार्बोहाइड्रेट है, जो डायबिटीज मरीजों के लिए खतरे का संकेत है। इसलिए आलू को डायबिटीज रोगियों और अच्छी सेहत वाले लोगों से दूर रखें। इस कारण डायबिटीज मरीज और हेल्थ कॉन्शियस लोग आलू के सेवन से बचते हैं. लेकिन, अब ऐसे लोगों को आलू से किनारा नहीं करना होगा. आलू की एक ऐसी प्रजाति बाजार में आ गई है. अब डायबिटीज से पीड़ित लोग भी आलू खा सकते हैं।

हम बात कर रहे हैं चिप्सोना प्रजाति के आलू की, जिसमें बहुत कम शुगर होता है। इसलिए इसे आम बोलचाल में शुगर-मुक्त आलू भी कहा जाता है। इसे पलामू में भी बोया जाता है। इसकी खेती पलामू के पडवा प्रखंड के झरी गांव में ओमकार नाथ ने अपनी एक कट्ठा जमीन पर कर रही है। ओमकार नाथ ने बताया कि उन्होंने खेती में बचपन से ही रुचि दिखाई है और वह 15 वर्षों से कृषि में काम कर रहे हैं। जिसमें वह जमीन पर कई प्रकार की फसलें उगाते हैं।

100-150 रुपये प्रति किलो

किसानों ने बताया कि अब आधुनिक और मेडिकेटेड खेती के साथ पारंपरिक खेती भी बढ़ाई जा रही है। इसके लिए उन्होंने 25 केजी शुगर-मुक्त आलू के बीज को लखनऊ से खरीदा था। जिसकी खेती के बाद दो क्विंटल आलू उत्पादित हुए हैं। 100-150 रुपये प्रति किलो की मार्केट कीमत है। फिलहाल, स्थानीय बाजार इसे खरीदता है। यह आलू सामान्य आलू की तरह दिखता है, लेकिन इसका छिलका पतला है।

इस आलू से पांच गुना लाभ

आगे बताया कि इसकी फसल भी आम आलू की तरह है। इसकी खेती मेड़ से होती है। दावा किया कि इसकी खेती से किसान पांच गुना अधिक मुनाफा प्राप्त करते हैं। बताया गया कि बीस किलो शुगर-मुक्त आलू का एक कट्ठा लगभग एक से दो हजार रुपये था। कुछ अतिरिक्त व्यय भी होते हैं। वहीं, 15 से 20 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। इसकी खेती में दो बार जैविक खाद दी जानी चाहिए। यह पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है, जिससे स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता। इसका उत्पादन सामान्य आलू की तुलना में चार गुना अधिक होता है। किसान ने बताया कि एक कट्ठा जमीन में ट्रायल की शुरुआत की गई है। अब यह एक एकड़ में खेती की जाएगी।

स्टोर करना सुविधाजनक

किसान ने कहा कि इस आलू में कम कार्बोहाइड्रेट होने के कारण स्टोर करना आसान है। ये आम आलू से अधिक दिनों तक रहते हैं। गर्मी के दिनों में आलू अक्सर सड़ जाते हैं, लेकिन शुगर-मुक्त आलू महीनों तक जीवित रहते हैं।

शुगर रोगियों को अधिक भोजन करने से बचें

पतंजलि आयुर्वेद केंद्र के चिकित्सक पवन पुरुषार्थी आर्य ने बताया कि शुगर से पीड़ित लोगों को आलू खाना मना है। लेकिन सामान्य आलू की तुलना में चिप्सोना प्रजाति के आलू में शुगर की मात्रा कम होती है। यही कारण है कि आलू प्रेमी शुगर के कुछ मरीज इसे पसंद करते हैं, लेकिन अधिक सेवन से बचना चाहिए।

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