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उत्तर प्रदेश के इस रिंग रोड से 32 गांवों के लोग होगें निहाल, जमीन का होगा अधिग्रहण, 19 गांवों में बढ़ेगी मुश्किलें

रिंग रोड के लिए कुल 22 गांवों की जमीन ली जानी है, लेकिन ढाई वर्ष में सिर्फ तीन गांवों की जमीन के अधिग्रहण का ब्योरा तैयार हो पाया है। बाकी 19 में से एक गांव में चकबंदी प्रक्रिया की बाधा है। ऐसे में रिंग रोड का निर्माण अधर में लटक गया है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
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People of 32 villages will be happy with this ring road of Uttar Pradesh, land will be acquired, problems will increase in 19 villages.

UP News : बरेली में प्रस्तावित रिंग रोड का निर्माण जमीन अधिग्रहण की धीमी रफ्तार में अटक गया है। कुल 22 गांवों की जमीन ली जानी है, लेकिन ढाई वर्ष में सिर्फ तीन गांवों की जमीन के अधिग्रहण का ब्योरा तैयार हो पाया है। बाकी 19 में से एक गांव में चकबंदी प्रक्रिया की बाधा है। अन्य 18 गांवों में यही तय नहीं हो पाया है कि किस किसान को कितना मुआवजा दिया जाना है। ऐसे में 32 किलोमीटर लंबे रिंग रोड का निर्माण अधर में फंसा है।

यह स्थिति तब है जबकि एनएचएआई की भूमि अधिग्रहण कमेटी से परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की मंजूरी मिल चुकी है। एनएचएआई के पास बजट भी उपलब्ध है। राजस्व विभाग के सहयोग से विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी को किसानों का विवरण उपलब्ध कराना है। उन्हें अधिग्रहण के लिए 11 जून 2021 को प्रस्ताव भेजा गया था। अभी तक उन्होंने सिर्फ इटौवा सुखदेवपुर, रोहता एहतमाली व सहरिया गांवों की जमीन का विवरण भेजा है।

एनएचएआई के अधिकारी इन तीन गांवों के किसानों को लखनऊ मुख्यालय से हरी झंडी मिलते ही करीब एक महीने में मुआवजा वितरित किए जाने की बात कह रहे हैं। वहीं बाकी गांवों की प्रक्रिया विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी के यहां धीमी गति से चल रही है। अगर शेष गांवों का किसानवार विवरण भी एनएचएआई को मिल जाए तो संबंधित किसानों को मुआवजे का भुगतान भी जल्द हो। साथ ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो सके।

यह है परियोजना

लगभग 1150 करोड़ रुपये लागत के फोरलेन आउटर रिंग रोड का प्रस्ताव वर्ष 2021 में तैयार किया गया था। चौबारी मुस्तकिल से रजऊ परसपुर तक 13 किलोमीटर और धंतिया से चौबारी मुस्तकिल तक 19.2 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाकर रिंग रोड पूरा होगा। लगभग 500 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण पर व्यय करना प्रस्तावित है। हालांकि अभी एक रुपया भी खर्च नहीं हो सका है।

इन गांवों के किसानों की ली जानी है जमीन

रिंग रोड बनाने के लिए धंतिया, परसाखेड़ा, रसूला चौधरी, बालकोठा, बादशाहनगर, सरनिया, रहपुरा जागीर, महेशपुरा अटरिया, रोहता मुस्तकिल, रोहता एहतमाली, सहसिया हुसैनपुर एहतमाली, सहसिया हुसैनपुर मुस्तकिल, सरायतल्फी मुस्तकिल, सरायतल्फी एहतमली, महगवां, बिरिया नरेंद्रपुर, इटौवा सुखदेवपुर, बहतीदह जागीर, रौंधी मुस्तकिल, महेशपुर ठाकुरान, बुखारा, चौबारी मुस्तकिल, बरीनगला, उमरसिया, लखौरा, दुबारी, पालपुर कमालपुर, धौरपुर ठाकुरान, परतासपुर, सैदपुर लश्करीगंज, सुंदरपुर, रजऊ परसपुर।

क्या बोले जिम्मेदार

एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बीपी पाठक ने बताया कि जमीन अधिग्रहण की मौजूदा स्थिति से अधिकारियों को अवगत कराया गया है। प्रक्रिया चल रही है। काम शुरू करने के लिए कम से कम 80 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण होना जरूरी है।

अपर जिलाधिकारी न्यायिक एवं विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि कुल 22 गांवों में से एक की चकबंदी प्रक्रिया संबंधी बाधा दूर करने के लिए मंडलायुक्त ने एसओसी को निर्देश जारी कर दिए हैं। बाकी 21 गांवों में तीन गांवों का ब्योरा मैंने एनएचएआई को भेज दिया है। उन गांवों का अधिग्रहण फाइनल हो तो दूसरे अन्य गांवों का भी भेज देंगे। देरी की वजह यह है कि पहले बरेली सितारगंज हाईवे के लिए अधिग्रहण पर जोर था। अब रिंग रोड के लिए काम तेजी के साथ होगा।

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