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सरकार ने गन्ना की इस किस्मों पर लगाई रोक, अगर खेती की तो होगी कार्यवाही

Sugarcane Farming :लाल सड़न रोग गन्ने की खेती को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इसे देखते हुए कृषि विशेषज्ञों एवं गन्ना विकास विभाग ने गन्ना की कुछ किस्मों को बैन किया गया है। चलिए जानते है विस्तार से....
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Government has banned these varieties of sugarcane, action will be taken if cultivated

Red Rot Disease In Sugarcane :- उत्तर प्रदेश में गन्ना सबसे अधिक नकदी फसल है। प्रदेश के किसानों को गन्ने की फसल से अच्छी खासी आय भी मिलती है। कृषि विशेषज्ञों ने उन्नत किस्मों के बीजों के साथ आधुनिक तकनीक से गन्ने की खेती करने का सुझाव दिया है, जिससे गन्ने का उत्पादन बढ़ाकर किसानों को अधिक लाभ मिलेगा। इसी कड़ी में, लाल सड़न रोग उत्तर प्रदेश में गन्ना की फसल को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के गन्ना विकास विभाग ने गहन अध्ययन के बाद किसानों को इस बीमारी से भविष्य में गन्ने की फसल को बचाने की सलाह दी है। वहीं, राज्य प्रशासन ने गन्ने की फसल में लगे सड़न रोग से किसानों को बचाने के लिए कुछ गन्ने की किस्मों की खेती पर प्रतिबंध लगाया है। नीचे जानें कि किस गन्ने की किस्मों पर बैन लगाया गया है। गन्ने की फसल को भविष्य में लाल सड़न रोग से बचाने के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?  

समस्याओं का निदान करने का विचार

12 सितंबर को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक चर्चा बैठक हुई। जिसमें गन्ना किस्मों के बढ़ते असंतुलन, गन्ने की खेती में बढ़ते खर्च, मिट्टी की उर्वरकता और कीट-रोग की बीमारी की प्रमुख समस्याओं का निदान किया गया। इसमें विचार किया गया कि गन्ने की औसत पैदावर को कैसे बढ़ाया जाए, इन प्रमुख समस्याओं का समाधान करके गन्ना किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा मिल सके। इसमें उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रभु एन. सिंह ने गन्ना किस्मों को संतुलित करने और राज्य की औसत गन्ने पैदावार को बढ़ाने के लिए विकास कार्यक्रमों को शुरू करने पर विचार किया। इसमें गन्ना किसानों ने गन्ने की औसत उपज बढ़ाने और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए सुझाव दिए गए।

इन गन्ना किस्मों की खेती पर रोक

बैठक में गन्ने की 11015, Cobb 95 किस्मों को बैन करने का निर्णय लिया गया है ताकि गन्ने किसानों को लाल सड़न रोग से बचाया जा सके और गन्ने की फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। इन गन्ने की किस्मों की खेती प्रतिबंधित है। ये प्रकार लाल सड़न से प्रभावित होते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने इसलिए इन किस्मों को बैन कर दिया है। प्रदेश में किसानों को इन गन्ने की किस्मों की बुआई नहीं करने की सलाह दी गई है। इन किस्मों की अनधिकृत खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।  निर्देशों में बाहरी गन्ना की खेती नहीं की गई है। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने के भी निर्देश हैं।

चीनी और गन्ना उत्पादन के स्थायित्व पर असर डाल सकता है

कृषि विशेषज्ञों ने बैठक में बताया कि भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर के गन्ना विकास विभाग ने गन्ना की 11015, CP95 किस्में लाल सड़न रोग फैलाती हैं। साथ ही, राज्य में 0238 गन्ना की किस्म को लाल सड़न रोग का प्रमुख स्ट्रेन सी. एफ. 13 भयंकर नुकसान पहुंचा रहा है। इसका मुख्य कारण है कि क्षेत्र अभी भी CO-11015 से पूरी तरह से मुक्त नहीं है। 0238 गन्ना किस्म भी घातक हो सकती है अगर प्रदेश में इन किस्मों की खेती की जाती है। बैठक में वैज्ञानिकों ने बताया कि गन्ने में लाल सड़न रोग तेजी से फैल सकता है, जो क्षेत्र में चीनी उत्पादन और गन्ना उत्पादन के स्थायित्व को प्रभावित कर सकता है।

किस्मों को संतुलित करने के लिए ये कार्य करें

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि राज्य में गन्ना किसानों ने CO-238 गन्ना किस्म को लगातार खेती की है, इसलिए किसानों को नई किस्मों का चयन करना चाहिए। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि गन्ना की खेती के लिए पेडी प्रबंधन के लिए कटाई के तुरंत बाद रेटून मैनेजमेंट डिवाइस (RMD) का उपयोग करना चाहिए। गन्ना को टेंच प्लांटर से बाहर से स्पेसिंग तकनीक से बुआई करें। गन्ना की खेती में ड्रिप इरिगेशन और फैरो इरिगेशन सिंचाई का उपयोग करके अधिक उपज प्राप्त करें। मिट्टी में कार्बन को बढ़ाने के लिए ग्रीन मैन्योरिंग और गन्ने की बधाई दोनों की आवश्यकता बताई गई है। किसानों को एक किस्म की जगह चार से पांच गन्ना किस्मों की बुवाई करना चाहिए ताकि गन्ना किस्मों में संतुलन बनाए रखा जा सके। किसानों को लाल सड़न रोग से बचाने के लिए केवल को.94012, को.91010, 87025, और को.जवाहर 86-600 किस्मों को लगाना चाहिए। ये गन्ने की प्रजातियां लाल सड़नरोग को मार सकती हैं। गन्ने की गड्डी बुवाई करने से पहले उसे गर्म हवा से धो दें।

बड़ चिप विधि से गन्ने की बुवाई करें

कृषि वैज्ञानिकों ने राज्य में गन्ना की खेती में लागत कम करने के लिए किसानों को सिंगल बड गन्ने की बुआई करने की सलाह दी है। गन्ने की खेती करने वाले अधिकांश किसान दो आंख वाले गन्ने का बीज लगाते हैं। गन्ने की बड चिप विधि से खेती करने पर किसानों को प्रति एकड़ 80 से 100 किलो गन्ने के बीज की आवश्यकता होती है, लेकिन इस विधि से एक एकड़ में 25-30 क्विंटल गन्ने की आवश्यकता होती है। Bed-chip विधि से गन्ने की खेती करने पर देर से बुआई की समस्या भी दूर हो जाएगी। साथ ही कृषि लागत कम होगी। वहीं, इस तकनीक से खेती करने पर गन्ने की पैदावार भी अधिक होगी, जिससे किसानों को अधिक पैसा मिलेगा। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग ने राज्य के 36 गन्ना समृद्ध जिलों में स्वयं सहायता समूह बनाए हैं। इन समूहों द्वारा बड चिप प्रक्रिया से गन्ने के पौधे बनाए जाते हैं। इन समूहों से गन्ने के तैयार पौधे खरीदकर किसान अपने खेतों में लगाते हैं। यह किसानों को गेहूं और धान की कटाई के बाद सीधे खेत में गन्ना बोने की तुलना में अधिक पैदावर प्राप्त करने में मदद करता है और लागत भी बचाता है।

गन्ने की खेती करके आय बढ़ाएं

वास्तव में, गन्ना एक नकदी फसल है और दस से ग्यारह महीने में तैयार होती है। गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अच्छी कमाई भी मिलती है। लेकिन किसानों को गन्ने की खेती से मूल्य मिलने में काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है। गन्ने में देर से गन्ना मूल्य मिलने वाली इस समस्या को दूर करने के लिए कई किसान अब गन्ने की खेती में सहफसली फसलों (मटर, आलू, लोबिया, मसाला) की खेती कर रहे हैं. यह फसल किसानों को अधिक पैसा कमाने में मदद करती है। गन्ने की फसल को सहफसली खेती करके किसान प्रति एकड़ आय में वृद्धि कर सकते हैं। यह भी किसानों को देर से गन्ना मूल्य मिलने से होने वाली समस्याओं से बचाने में मदद करेगा।

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