Supreme Court verdict : सिर्फ पावर ऑफ अटॉर्नी से नहीं मिलता प्रॉपर्टी का मालिकाना हक़
भूमि खरीदने और बेचने के लिए कई दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, हालांकि कुछ लोग पावर ऑफ अटॉर्नी को ही एकमात्र दस्तावेज मानते हैं जो उन्हें संपत्ति का मालिक बना देगा, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सिर्फ यह दस्तावेज मालिक बनने के लिए पर्याप्त नहीं है।
Property News : सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के ट्रांसफर को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने एक मामले में कहा कि किसी संपत्ति के टाइटल ट्रांसफर के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज की आवश्यकता होती है। कोर्ट ने कहा कि केवल सेल एग्रीमेंट या अटॉर्नी की शक्ति टाइटल ट्रांसफर के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत संपत्ति का मालिकाना केवल तब हो सकता है जब दस्तावेज रजिस्टर्ड हैं।
जिस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है, उसमें याचिकाकर्ता का दावा है कि उसके भाई ने उसे सपंत्ति एक उपहार के रूप में दी थी। उसका दावा है कि वह मालिक है और इसे नियंत्रित करता है। जबकि दूसरे पक्ष ने संपत्ति का दावा करते हुए कहा कि उसके पक्ष में अटॉर्नी, हलफनामा और समझौता करने का अधिकार है।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी के दावे को वैध नहीं ठहराया। उन्होंने कहा कि बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के कोई संपत्ति का मालिक नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से सहमति जताते हुए प्रतिवादी का दावा खारिज कर दिया क्योंकि अचल संपत्ति का मालिकाना हक बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के नहीं ट्रांसफर किया जा सकता है। याचिकाकर्ता की अपील भी कोर्ट ने स्वीकार कर ली।
क्या हो रहा है? पावर ऑफ अटॉर्नी और सेल एग्रीमेंट
पावर ऑफ अटार्नी एक रहित कानूनी अधिकार है जो किसी संपत्ति के मालिक ने दूसरे व्यक्ति को देता है। अटॉर्नी का अधिकार मिलने से व्यक्ति को उस संपत्ति की खरीद या बिक्री का निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। लेकिन यह संपत्ति नहीं है। विक्रेता और खरीदार के बीच संपत्ति से जुड़े सभी विवरणों को एक एग्रीमेंट टू सेल पत्र में समाहित किया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और पूरे भुगतान की पूरी जानकारी है।