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Ajab-Gajab : इन गांवों में निभाई जाती है अजीबोगरीब परंपरा, मटके से पता लगाते हैं भविष्य और आगामी साल

पुराने समय में लोग तारों को देखकर समय बता देते थे। वहीं, आज के समय में बहुत से लोगों को तो घड़ी में समय तक देखना नहीं आता। लेकिन ये हकीकत है कि आज भी बहुत से ऐसे गांव है जो पुरानी परंपराओं में विश्वास रखते हैं। आज हम आपको एक गांव की ऐसी पंरपरा के बारे में बता रहे हैं जो मटके पर बैठकर पूरे साल का हाल बता देते हैं।
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Ajab-Gajab: A strange tradition is played in these villages, they find out the future and the coming year from the pot.

Ajab-Gajab : कैसा होगा साल, जमकर होगी बारिश या पड़ेगा अकाल... ये सारी बातें एक 'मटका' बोलेगा और बारिश के सारे भेद खोलेगा। चौंक गए न? लेकिन यह हकीकत है। जो एक परंपरा की तरह हर साल एक ख़ास दिन अक्षय तृतीया के मौके पर राजस्थान के सिरोही जिले के कई गांवों में निभाई जाती है।

इस विधि के जरिए ग्रामीण बारिश के मौसम का अनुमान लगाते हैं और फिर उसी हिसाब से अपनी तैयारियां करते हैं. सदियों से जारी बारिश के मौसम का शगुन देखने की यह रस्म यहां बदस्तूर निभाई जा रही है. सिरोही के नजदीक रामपुरा गांव में इस रस्म को ग्रामीण सदियों से निभाते आ रहे हैं।

बरसात का शगुन देखने की इस विधि में सबसे पहले जमीन को गाय के गोबर से लीपकर उस पर गोल चौक बनाया जाता है. उसके बाद उस पर अक्षत कुमकुम आदि से रंगोली बनाई जाती हैं. फिर भगवान श्री गणेश को साक्षी मानकर दीपक जलाया जाता है।

इसके बाद एक नए मिट्टी के घड़े में पानी भरा जाता है। चौक पर मटका पीटने वाली थापी (मटका बनाने वाला लकड़ी का औजार) रखा जाता है. उस पर पानी से भरे मटके को रखा जाता है और मटके के भीतर विघ्न हरण भगवन गणेश को स्थापित किया जाता है।

इतना हो जाने के बाद किसी भी चुने हुए व्यक्ति को मटके पर बिठाया जाता है. और फिर शुरू होता है सवालों का सिलसिला. इसके बाद पूछे गए सवाल के जवाब में मटका और उस पर बैठा शख्स घड़ी की सुई की दिशा में घूमे तो जवाब हां में है और अगर उल्टी दिशा में घूमे तो जवाब न में मान लिया जाता है।

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