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SBI Life Insurance : झूठ बोलकर पॉलिसी बेचना पड़ा भारी, कोर्ट ने ठोका जुर्माना

SBI Life Insurance : आपको बता दें कि जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को प्रीमियम के तौर पर जमा की गई एक लाख रुपये की राशि ब्याज समेत उपभोक्ता को लौटाने के आदेश दिए हैं...ऐसे में आइए नीचे खबर में जानते है आखिर पूरा मामला क्या है...

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SBI Life Insurance: Selling the policy by lying proved costly, court imposed fine

Saral Kisan : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को प्रीमियम के तौर पर जमा की गई एक लाख रुपये की राशि ब्याज समेत उपभोक्ता को लौटाने के आदेश दिए हैं। साथ ही सेवाओं में कमी के लिए कंपनी को 10 हजार रुपये व कानूनी खर्च के तौर पर 5 हजार रुपये उपभोक्ता को देने होंगे। यह तमाम राशि कंपनी को एक माह के अंदर अदा करनी होगी।

सोनीपत के हलालपुर गांव के अश्वनी कुमार ने 3 मार्च 2022 को हुडा कांप्लेक्स रोहतक स्थित एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से इंश्योरेंस पॉलिसी ली। प्रीमियम के तौर पर उन्होंने एक लाख रूपए जमा करा दिए। 14 मार्च को उन्हें पॉलिसी से संबंधित कागजात मिले। इंश्योरेंस पॉलिसी के कागजात पढ़ने के बाद वह नियम व शर्तों से सहमत नहीं हुआ।

इंश्योरेंस करते समय जो बात बताई गई थी, वह पॉलिसी की शर्तों में नहीं मिली। यानि पॉलिसी बेचते समय कंपनी ने गलत जानकारी दे दी। जिसके बाद अश्वनी कुमार ने 28 मार्च को कंपनी के पास पॉलिसी रद्द करने के लिए ईमेल कर दी और जमा की गई एक लाख रुपये की राशि लौटाने के लिए कहा।

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बीमा कंपनी नहीं दे रही थी जवाब-

कंपनी की ओर से सभी प्रकार के कागजात भेजने के बारे में जवाब मिला। यह कागजात निर्धारित समय में भेज दिए गए। फिर पॉलिसी रद्द करने का कारण पूछा गया। यह कारण भी बता दिया गया। इसके बाद यह उपभोक्ता कई बार इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी रद्द कर अपनी राशि रिफंड करने की गुहार लगाता रहा। लेकिन कंपनी ने कोई सुनवाई नहीं की और उसके दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद अश्वनी कुमार ने अपने वकील के माध्यम से 9 सितंबर 2022 को जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में केस दायर कर दिया।

इंश्योरेंस कंपनी को नोटिस भेजा-

आयोग की ओर से इंश्योरेंस कंपनी को नोटिस भेजा गया। कंपनी की ओर से इस संबंध में कई तरह के तर्क पेश किए गए। लेकिन आयोग इन तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ। आयोग के अध्यक्ष नागेंद्र सिंह कादियान और सदस्य तृप्ति पानू व विजेंद्र सिंह ने उपभोक्ता अश्वनी कुमार के हक में फैसला सुनाया। जिसके तहत एक लाख रुपये 9 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने और सेवाओं में कमी के लिए 10 हजार रुपये मुआवजा व कानूनी खर्च के तौर पर 5 हजार रुपये देने के आदेश दिए।

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