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तेल कंपनियां कमा रही 1 लाख करोड़, फिर क्यों नहीं मिल रहा आम लोगों को सस्ता पेट्रोल

तेल कंपनियां बहुत ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं, परंतु पेट्रोल खरीदने वाले लोगों को सस्ते पेट्रोल का सामना नहीं हो रहा है। यह संदेहनीय है कि इस खेल में आम आदमी को क्यों बड़ा नुकसान हो रहा है। चलिए इस विषय का गणित समझते हैं।
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Oil companies are earning Rs 1 lakh crore, then why are common people not getting cheap petrol?

Oil Marketing Companies Profit: जब बात तेल कंपनियों की कमाई और आम आदमी की पेट्रोल कीमतों से जुड़ी है, तो सच्चाई खुलकर सामने आती है। तेल के मामूले बदले जाने वाले खेल के कारण आम आदमी पर बोझ बढ़ रहा है।

तेल कंपनियां बहुत ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं, परंतु पेट्रोल खरीदने वाले लोगों को सस्ते पेट्रोल का सामना नहीं हो रहा है। यह संदेहनीय है कि इस खेल में आम आदमी को क्यों बड़ा नुकसान हो रहा है। चलिए इस विषय का गणित समझते हैं।

पहले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोजाना बदलती रहती थीं। इन कीमतों में से या तो घटाव आता था या बढ़ोतरी। लेकिन बीते एक साल से तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यानी एक साल से पेट्रोल की कीमत न तो कम हुई है और न महंगी। इससे संबंधित एक सवाल उठता है कि जब ग्राहकों के लिए तेल की कीमतें नहीं बदल रही हैं तो कंपनियां इतना ज्यादा मुनाफा कैसे कमा रही हैं। इसे समझने के लिए आगे देखते हैं।

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होते वक्त कंपनियों की दलील थी कि उनका घाटा बढ़ रहा है। इसलिए, उन्हें चाहिए तेल की कीमतों को कम करने का एक उचित अवसर। लेकिन अब तेल कंपनियों को उनके घाटे की पूरी भरपाई हो चुकी है और वे अब मुनाफे में हैं।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार, देश की बड़ी सरकारी तेल कंपनियों की कमाई इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ से ज्यादा हो सकती है। वास्तव में, इन कंपनियों ने तेल की कीमतों में बदलाव करके अपने घाटे की भरपाई नहीं की। अगर वे चाहते तो तेल की कीमतों में कमी कर सकते थे।

2017 से 2022 तक, इन तेल कंपनियों की औसत कमाई 60,000 करोड़ रुपए थी। हालांकि, पिछले साल इन कंपनियों की कमाई घटकर केवल 33,000 रुपए रही। यह इस खेल की शुरुआत है, जिसमें तेल कंपनियां अपने घाटे की भरपाई करने का सिलसिला शुरू कर चुकी हैं।

तेल की कीमतों में लगातार गिरावट के बाद भी ये कंपनियां अपने घाटे की भरपाई के लिए तेल की कीमतों को सस्ते नहीं होने दे रही हैं। इसके बावजूद, आसपास के जिलों से लोग पुराने लोहे के सामान खरीदने आते हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 96 रुपए के करीब है। जबकि दिल्ली के बेस प्राइस की बात करें तो यह 57 रुपए के करीब है। इसके बाद इसमें 19.90 रुपए की एक्साइज ड्यूटी लगती है। इसके बाद 3.76 रुपए का डीलर कमीशन लगता है।

इसके बाद सरकारी वैट 15.71 रुपए है। इससे ज्यादा बोझ न उठाते हुए, एक लीटर पेट्रोल पर 39.37 रुपए के मद के रूप में टैक्स लगते हैं। यानी 96 रुपए के पेट्रोल पर लगभग 40 रुपए वसूले जाते हैं। इससे आम आदमी को सस्ते पेट्रोल की आस लगाने में कठिनाई हो रही है। तेल कंपनियां और सरकारी टैक्स के चक्कर में आम आदमी फिर भी महंगे पेट्रोल के शिकार है।

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