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MP में 332 हेक्टेयर में बसाया जाएगा नया शहर, कई गांवों की जमीन होगी अधिग्रहण

MP News : शहर के निवासियों को मिरया से 25 किलोमीटर दूर बरगवां के पास दादर में बसाने का प्लान बनाया जा रहा है। 1485 हेक्टेयर में बसे इस शहर को गोनेवाली के 332 हेक्टेर हिस्से में बसाने की तैयारी चल रही है।

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MP में 332 हेक्टेयर में बसाया जाएगा नया शहर, कई गांवों की जमीन होगी अधिग्रहण

MP News : कोयले की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी सिगरौली के सबसे पुराने शहर मोरया को उजाड़ने की तैयारी चल रही है। 40 हजार की आबादी वाले सात दशक पुराने इस शहर को जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर एक वीरान गांव में बसाया जाएगा। कोयला कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) जयंत और दुद्धीभुआ कोयला खदानों के विस्तार की योजना के तहत मौरवा शहर को विस्थापित करने का फैसला किया गया है। 

शहर के निवासियों को मिरया से 25 किलोमीटर दूर बरगवां के पास दादर में शिफ्ट किया गया। 1485 हेक्टेयर का शहर, 332 हेक्टेयर में बसेगा गोनेवाली में बसाने की तैयारी चल रही है। यह भगवती एक वीरान गांव है। 07 एनसीएल 1485.66 हेक्टेयर में फैले शहर को उजाड़कर 332.3 हेक्टेयर में बसाने की तैयारी कर रही है। मोरवा शहर को दो हिस्सों में बांटकर अपने कब्जे में लिया जा रहा है।  बाजार और ढाणी बारटी 1211.75 हेक्टेयर में है। पुनर्वास के लिए विहीनात गांव भालूगढ़ में 204.89 हेक्टेयर, गोवाली में 107.52 हेक्टेयर और बाबर में 19.89 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है।

प्रभावित होने वाले उपक्रम 

10 निजी और सरकारी स्कूल

04 समुदिक मदन

05 प्रतिष्ठित बड़े बैंक

08 निजी सरकारी अस्पताल

04 निजी और सरकारी कॉलोनी

15 बड़े प्रतिष्ठित होटल और गेस्ट हाउस

विस्थापन में एनसीएल मुख्यालय, बस पोस्ट ऑफिस, नगर निगम कार्यालय, उपखंड बन महल, बिजली कार्यालय और मोरया पुलिस स्टेशन सहित अन्य सार्वजनिक संपत्तियां और संस्थान नष्ट हो जाएंगे।)

एनसीएल मुख्यालय के लिए जगह नहीं है 

एनसीएल विस्थापन की प्रक्रिया में है।अभी यह तय नहीं हुआ है कि मुख्यालय फिर से कहां स्थापित होगा। एनसीएल के पास जिला मुख्यालय वैदन और हरई में पर्याप्त जमीन है। करीब पांच साल पहले उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में मुख्यालय स्थापित करने की चर्चा भी शुरू हुई थी। इस कारण मोरका के निवासी संशय की स्थिति में हैं। कई लोगों की आजीविका मुख्यालय पर निर्भर है।

निर्धारित नियमों के अनुसार होगा विस्थापन

कोयले की जरूरत को पूरा करने के लिए मोरवा को स्थानांतरित करने का निर्णय बहुत पहले लिया जा चुका है। विस्थापन की प्रक्रिया निर्धारित नियमों के अनुसार की जा रही है।  यह प्रक्रिया वीरान के निवासियों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए पूरी की जाएगी। 

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