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इस पक्षी के बिना बंद हो जाती जापान की Bullet Train, क्या है पूरी स्टोरी?

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना है, जिसका एक भाग 2026 में शुरू होगा। जापान की इस तकनीक के लिए फंड भी दे रहा है। जापान की बुलेट ट्रेन नवीनतम इंजीनियरिंग का उदाहरण है।
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Japan's Bullet Train would have stopped without this bird, what is the whole story?

Saral Kisan : मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन, देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना है, जिसका एक भाग 2026 में शुरू होगा। जापान की इस तकनीक के लिए फंड भी दे रहा है। जापान की बुलेट ट्रेन नवीनतम इंजीनियरिंग का उदाहरण है। इस ट्रेन को 320 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलने के बावजूद सफर करना सबसे सुरक्षित है। लेकिन जापान की इन ट्रेनों को बंद करने का भी समय था। इन ट्रेनों का डिजाइन शुरू में मुश्किल था। यह ट्रेन सुरंग से निकलते समय इतनी आवाज करती थी कि यात्रियों और आसपास के लोगों को सुनना मुश्किल हो गया। यह आवाज ऐसी थी जैसे कोई वॉशिंग मशीन चलाते हुए एक कमरे में बंद हो गया हो।

यह ट्रेन जहां से गुजरती थी, उसके आसपास के लोगों को भी बहुत परेशानी हुई। जापान के इंजीनियरों ने इस 'टनल बूम' का कारण जल्दी ही पता लगाया। बंद स्थान से ट्रेन हवा को आगे धकेलती है जब वह सुरंग से बाहर निकलती है। इससे वायु प्रेशर वेव पैदा होता है। बंदूक से गोली मारने की तरह, ट्रेन सुरंग से बाहर निकलती है। 70 डिसेबल से अधिक की साउंड वेव इससे उत्पादित होती है और सभी दिशाओं में 400 मीटर की दूरी पर इसका प्रभाव रहता है। कारण तो पता था, लेकिन इसका समाधान कैसे किया जाए?

क्या हुआ चमत्कार?

सुरंग से नहीं गुजरना या ट्रेन की रफ्तार कम करना कोई विकल्प नहीं था। लेकिन प्रकृति ने इसका हल निकाला था। जापान के इंजीनियरों ने किंगफिशर पक्षी देखा, जो पानी में तेज गति से मछलियों का शिकार करता है। जापानी इंजीनियरों को इसकी चोंच का डिजाइन अच्छा लगा। किंगफिशर की चोंच की तरह, बुलेट ट्रेन का अगला भाग जापानी इंजीनियर आइजी नकात्सू ने बनाया था। योजना सफल हुई। स्थानीय लोगों को राहत मिली जब बुलेट ट्रेन की टनल बूम की समस्या खत्म हो गई। इससे ट्रेन की स्पीड और फ्यूल एफिशियंसी भी बढ़ी।

इससे एक बार फिर प्रकृति सबसे बड़ा इंजीनियर है। किंगफिशर एक छोटा सा रंगीन पक्षी है जो अपने शिकार को पानी में खोजता है। इसकी चोंच आगे से गोल है और पीछे चौड़ी है। इससे पानी में गोता लगाना आसान होता है। 1964 में जापान ने पहली हाई स्पीड ट्रेन बनाई थी। आज भी इसे इंजीनियरिंग का नगीना मानते हैं। उसने बुलेट ट्रेनों की रफ्तार, क्षमता और सुरक्षा को लगातार बढ़ाया। जापान रेलवे ईस्ट की ई5 बुलेट ट्रेन राजधानी टोक्यो से शिन-आओमोरी की ओर चलती है, 320 किमी/घंटे की रफ्तार से।

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