Business idea : मात्र 100 Rs के पौधे से होगी डेढ़ लाख की कमाई, भर देगा आपकी तिजोरी
एक झटका इंसान की जिंदगी बदल भी सकता है। ऐसी सोच विकसित कर सकता है, जिसके माध्यम एक बड़े वर्ग को लाभ पहुंचे। कुछ इसी प्रकार का प्रयास बिजनौर के किसान चंद्रपाल ने किया है।
Saral Kisan - एक झटका इंसान की जिंदगी बदल भी सकता है। ऐसी सोच विकसित कर सकता है, जिसके माध्यम एक बड़े वर्ग को लाभ पहुंचे। कुछ इसी प्रकार का प्रयास बिजनौर के किसान चंद्रपाल ने किया है। UP के बिजनौर जिले के बालीपुर गांव के चंद्रपाल सिंह तब हिल गए, जब उनके दोस्त सुनील कुमार ने आत्महत्या की। UP के मुरादाबाद के किसान सुनील ने 3.5 लाख रुपये का ऋण न चुका पाने के कारण आत्महत्या की थी।
छोटे किसानों को कर्ज से बाहर निकालने की योजना बनानी शुरू की। कृषकों से चर्चा की। पता चला कि एक किसान ने दो लाख रुपये का लोन लिया था, जो अब चालिस लाख रुपये हो गया है। उन्होंने इन किसानों को कर्ज के जाल से बाहर निकालने के लिए चंदन के पेड़ लगाने की सलाह देनी शुरू की। चंद्रपाल किसानों से तत्काल लाभ के लिए नहीं कहते। फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर चंदन का पेड़ लगाना अनिवार्य है। वे कहते हैं कि गेहूं या धान के खेत में किसानों को चंदन का एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए। एफडी को मानकर चलें। 100 रुपये के पेड़ से किसानों को 15 साल में 1.5 लाख रुपये मिलते हैं।
20 हजार से ज्यादा लगवा चुके चंदन का पेड़-
चंद्रपाल जहां जाते हैं किसानों से चंदन का पेड़ लगाने की विधि बता रही हैं। हजारों किसानों को उन्होंने चंदन का पेड़ उगाना सिखाया है। शाही चंदन का पेड़ लगाने की विधि जानकर किसानों ने इसे अपनाया। सात राज्यों में किसानों को इस पेड़ को लगाने की विधि बता चुके हैं। यहां पर किसान इसे लगाकर इसे बड़ा कर रहे हैं। बिजनौर के जिला कृषि ज्यादाारी अवधेश मिश्रा दावा करते हैं कि चंद्रपाल ने अब तक विभिन्न राज्यों में 20 हजार से ज्यादा चंदन का पेड़ लगवाया है। वे सोशल मीडिया के जरिए किसानों से जुड़ते हैं। उनको होने वाली परेशानी का समाधान करते हैं। पेड़ों को जीवित रखने के तरीकों के बारे में बताते हैं।
चंदन का पेड़ ही क्यों?
वाणिज्य में स्नातक चद्रपाल कहते हैं कि चंदन के पेड़ को लगाने के पीछे की वजह इससे होने वाली आय है। हमने यह फैसला पेड़ की लंबी अवधि की लाभप्रदता को देखते हुए लिया। वे कहते हैं कि मैं एक ऐसे विकल्प की तलाश कर रहा था, जो बिना ज्यादा निवेश के वित्तीय सुरक्षा प्रदान करे।
हालांकि, UP में चंदन उगाना आसान नहीं होने वाला था। चंद्रपाल सिंह ने पाया कि उत्तर-भारतीय जलवायु चंदन के बीज के अंकुरण के लिए अनुकूल नहीं है। इसलिए उन्होंने बिजनौर में पौधे लाने के लिए तमिलनाडु और कर्नाटक में नर्सरी के साथ करार किया। उन्होंने अपने 20 बीघा खेत में लाल और सफेद चंदन के 200 पौधे लगाकर शुरुआत की। वे कहते हैं कि ये पौधे 10 से 15 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे।
चंद्रपाल ने पेश किया उदाहरण-
चंद्रपाल सिंह जब सफल हुए तो उन्होंने अपने क्षेत्र में चंदन के पेड़ को लगाने के अभियान की शुरुआत की। सोशल मीडिया पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए। आज अकेले बिजनौर में 50 किसान चंदन की लकड़ी उगा रहे हैं। UP, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में सैकड़ों किसानों ने चंदन के पेड़ों को लगाया है। चंद्रपाल बताते हैं कि एक हैं राजस्थान के भरतपुर के मनोज शर्मा। वे कहते हैं कि मुझे सोशल मीडिया पर चंद्रपाल के वीडियो मिले। मैंने तीन साल पहले 20 पेड़ लगाए थे, यह सोचकर कि वे राजस्थान की शुष्क जलवायु में जीवित नहीं रहेंगे। चंद्रपाल की सलाह से मेरे पेड़ बच गए। वे अब 2 से 4 फीट लंबे हैं।
बिजनौर के चांदपुर में शिव चरण सिंह ने सात साल पहले 10 पौधे लगाए थे। वे अब लगभग 20 फीट लंबे हैं। शिव चरण कहते हैं कि यह मेरी बेटी के लिए एक निवेश है। आठ वर्षों के बाद ये पेड़ कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे। चंद्रपाल पौधों के बड़े ऑर्डर भेजते हैं। वहीं, छोटे ऑर्डर वाले किसान उनके खेत से पौधे खरीदते हैं।
सही तकनीक से बचा सकते हैं पौधे-
चंद्रपाल न केवल चंदन के पौधे बेचते हैं, बल्कि उत्पादकों का मार्गदर्शन भी करते हैं। यह अन्य पौधों की जड़ों से मैक्रोन्यूट्रिएंट्स लेता है। इसलिए इसे जीवित रहने के लिए एक मेजबान पेड़ की जरूरत होती है। चंद्रपाल कहते हैं कि जंगली चंदन को वश में करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। चंद्रपाल किसानों को चंदन के पेड़ के पास नीम, बबूल आदि साथी पेड़ लगाने की सलाह देते हैं। एक बार किसानों को इसकी विधि पता चल जाए, तो वे आसानी से वृक्षारोपण शुरू कर सकते हैं। चंद्रपाल बताते हैं कि चंदन का पौधा एक हेमीपरसाइट है। इसलिए, साथ ही चंदन खड़े पानी में ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता है। इसलिए, इसे अच्छी जल निकासी की आवश्यकता होती है।
खेती को लाभदायक बनाने पर विचार-
चंद्रपाल अब चंदन की खेती से किसानों की आय को ज्यादा करने के तरीकों पर रिसर्च भी कर रहे हैं। वे कहते हैं कि चंदन का बहुत बड़ा बाजार है। मैंने कानपुर और कन्नौज में उन फैक्ट्रियों का दौरा किया है, जहां तेल निकाला जाता है। इसके अलावा दक्षिण भारत में सैंडलवुड प्रोसेसिंग की कई इकाइयां हैं। चंद्रपाल सिंह के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IWST), बेंगलुरु के पूर्व निदेशक डॉ. टीएस राठौर ने कि वह सीमांत किसानों के उत्थान के लिए अपने ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं। उन्हें और उनसे जुड़ने वालों को इसके लिए बधाई देता हूं।
ये पढ़ें : Mosambi: मौसम्बी का रोजाना सेवन से मिलते हैं गजब के फायदे, जाने एक्सपर्ट की सलाह