MP के इस इलाकें में जमीन ख़रीद बिक्री पर लगी रोक, जानिए क्यों लिया गया फैसला
MP News : सिंगरौली प्रयागराज हाईवे प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही विवादों के घेरे में घिर चुका है. मध्य प्रदेश के सिंगरौली वाले हिस्से में हाईवे के लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. इस हाईवे प्रोजेक्ट में मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की दो तहसीलों की 33 गाँवों की जमीन आ रही है. इस हाइवे पर 4 महीने पहले सिर्फ 500 मकान बने थे लेकिन वहां अब 2500 मकान बने दिख रहे हैं.
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Singrauli Prayagraj Highway Project : सिंगरौली प्रयागराज हाईवे पर मुआवजे का खेल शुरू हो चुका है। इस हाईवे का 70 किलोमीटर हिस्सा सिंगरौली जिले चितरंगी और दूधमनिया तहसील से होकर गुजरता है. पिछले कुछ दिनों में यहां लगभग ढाई हजार घर बनाए गए हैं। ज्यादातर घर अधूरे हैं। यह मकान उस स्थान पर बनाया गया है जहां से हाईवे गुजरता है। खेत के बजाय मकान पर अधिक मुआवजा मिलने के कारण अधिकारियों ने खाली जगहों पर अधूरे घर बनाए हैं। महत्वपूर्ण खेल की जानकारी मिलते ही राज्य प्रशासन भी सख्त हो गया है। उसने कार्रवाई का आह्वान किया है।
इसके बाद जमीन की खरीद फरोख्त और नामांतरण पर प्रशासन द्वारा रोक लगा दिया गया है. साथ ही अनाउंसमेंट भी करवाया गया है. इसके लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगाए गए हैं. अब यह जमीन नहीं खरीदी जा सकती है
दलालों का व्यापार शुरू
मामला सिंगरौली-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग का है। इस राजमार्ग का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले में है। सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है। रोड प्रोजेक्ट पास होने के बाद ही अधिक मुआवजा दिलाने के लिए दलालों का व्यापार शुरू हुआ और कुछ ही महीनों में 2,500 घर बन गए। हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद भी यहां की जमीन खरीदने वालों में नेता और अफसर भी हैं, लोगों का यह कहना है। जमीन मालिकों ने मकान बनाने के लिए भी सौदे किए हैं। यह खबर सामने आने के बाद पूरे जिले में आश्चर्यचकित हो गया है।
खेत के बजाय मकान पर अधिक मुआवजा
सिंगरौली-प्रयागराज राजमार्ग का 70 किमी भाग सिंगरौली जिले की चितरंगी और दुधमनिया तहसील से गुजरता है। 740 करोड़ रुपये की लागत वाले इस परियोजना में इन दोनों तहसीलों के 33 गांव शामिल हैं। मार्च में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई। सर्वे शुरू होने के साथ ही यहां घर बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जमीन भी नहीं खरीद-फरोख्त की जा सकती। प्रशासन ने इस बारे में सूचना दी। नोटिस में रखें। इसके बावजूद, किसानों ने मुआवजे के लिए नए तरीके को अपनाया है। खेत के बजाय मकान पर अधिक मुआवजा मिलने के कारण अधिकारियों ने खाली जगहों पर अधूरे घर बनाए हैं।
आधे-अधूरे मकान
खेतों में बनाए गए मकान आधे-अधूरे हैं। जिनमें सिर्फ ईटें रखी गई हैं, वे कच्चे घर हैं। कुछ तो बस शेड हैं। बहुत से किसान बाहरी राज्यों से स्टाम्प पेपर पर सौदे कर चुके हैं। इसके अनुसार, घर से मिलने वाले मुआवजे का 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत बाँट दिया जाएगा। मकान बनाने वाले को 80 प्रतिशत और जमीन मालिक को 20 प्रतिशत बढ़ी हुई राशि मिलेगी।
मुआवजा नहीं मिलेगा
नेशनल हाईवे बनाने वाली केंद्रीय एजेंसी नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और राज्य के लोक निर्माण विभाग (PWD) को भी काफी शिकायतें मिली हैं। इसमें बताया गया है कि लोगों ने मुआवजे के लिए घर बनाया है। चितरंगी एसडीएम सुरेश जाधव ने बताया कि सर्वे के दौरान सिर्फ पांच सौ घर ही देखे गए थे। अब हाईवे पर 2,500 घर बन चुके हैं। सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा।
वैल्युएशन एक्सपर्ट से कराया
हाईवे सर्वे से पहले, इस क्षेत्र में जमीन का मूल्य प्रति डेसिमल आठ हजार रुपये था, जो अब 80 हजार रुपये हो गया है। घर बनाने के बाद उसका वैल्युएशन एक्सपर्ट से कराया जाता है। इसलिए मुआवजे की मांग की जाती है। घर से बोर तक पैसे मिलते हैं। सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि सर्वे के बाद बनाए गए घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके बाद भी दलाल सक्रिय है, मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन मालिकों और अन्य लोगों को फंसा रहे हैं। जमीन पर घर बनाने वालों को मुआवजा नहीं मिल सकता है।