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Ancestral Property : पैतृक प्रापर्टी को कानूनी तरीके से नाम करवाना बहुत जरूरी, जान लें 7 जरूरी बातें

विरासत में मिली संपत्ति को हम कानूनी रूप से अपने नाम तब तक दर्ज नहीं कराते, जब तक किसी विवाद की आशंका न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि अचल संपत्ति के मालिक की मृत्यु होने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को इसे कानूनी रूप से नाम कराना चाहिए।
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Ancestral Property: It is very important to name the ancestral property legally, know 7 important things

Saral Kisan : विरासत में मिली संपत्ति को हम कानूनी रूप से अपने नाम तब तक दर्ज नहीं कराते, जब तक किसी विवाद की आशंका न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि अचल संपत्ति के मालिक की मृत्यु होने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को इसे कानूनी रूप से नाम कराना चाहिए। इससे जुड़ी सात विशिष्ट बातें यहाँ पढ़ें

इस तरह की संपत्ति हस्तांतरण

पंजीकरण संपत्ति हस्तांतरण का एकमात्र तरीका नहीं है। इसके लिए भी आपको अपना दाखिल खारिज करना होगा। आपका मालिकाना हक तभी पूरा होगा। यह प्रक्रिया क्या होगी, संपत्ति, कानूनी उत्तराधिकारियों की संख्या, आदि पर निर्भर करता है।

इस तरह नाम दें

पैतृक संपत्ति को अपने नाम कराने के लिए आपको अपने अधिकार और उत्तराधिकार का सबूत देना होगा। यदि संपत्ति मालिक ने कोई वसीयत करा रखी है तो यह बहुत आसान हो जाता है। लेकिन कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ बनी वसीयत कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। जैसे, कोई व्यक्ति मालिकाना हक वाली संपत्ति को सिर्फ अपनी इच्छा से किसी को दे सकता है, न कि उसे विरासत में मिली हो। यदि विरासत में भी संपत्ति मिली है, तो उत्तराधिकार कानून लागू होता है।

वसीयत न होने पर समस्याएं ज्यादा

अगर कोई वसीयत नहीं है तो सबसे बेहतर होता है कि कानूनी उत्तराधिकारी आपस में सहमति से इसका बंटवारा कर लें। लॉ फर्म सिंह एंड एसोसिएट्स के संस्थापक साझेदार मनोज के. सिंह का कहना है कि परिवार के बीच हुए इस बंटवारे को फैमिली सेटलमेंट की तरह सब रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत कराना जरूरी है। इसके लिए संपत्ति के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज होना जरूरी है।

वसीयत न होने पर हलफनामा दें

वसीयत न होने पर एक हलफनामा तैयार कराना होगा, जिसमें सभी कानूनी वारिस या उत्तराधिकारियों का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) होना जरूरी है। अगर आपने अचल संपत्ति के सेटलमेंट के लिए किसी उत्तराधिकारी को कोई नकदी दी है तो उसका उल्लेख भी ट्रांसफर दस्तावेज में जरूर करें।

दाखिल-खारिज भी कराना चाहिए

संपत्ति के पंजीकरण के बाद उसका दाखिल-खारिज भी कराना चाहिए। यह राजस्व विभाग के आंकड़ों में किसी अचल संपत्ति का एक नाम से दूसरे नाम पर ट्रांसफर को दर्ज कराने के लिए आवश्यक है। प्रापर्टी टैक्स के भुगतान के लिए भी यह जरूरी है। साथ ही उस संपत्ति के साथ पानी, बिजली जैसे कनेक्शन भी दूसरे के नाम जुड़े होते हैं, उनके लिए भी दाखिल-खारिज आपके नाम होनी चाहिए। इसके लिए अपने नगर या पंचायत निकाय से संपर्क करें। हर राज्य में दाखिल-खारिज का शुल्क भी अलग-अलग होता है।

प्रापर्टी पर होम लोन है तो चुकाना होगा

अगर जो प्रापर्टी आपके नाम होने जा रही है, उसे पर कोई होम लोन है तो आपको बाकी का पैसा चुकाना होगा। बकाये का भुगतान होते ही बैंक लोन क्लियरेंस सर्टिफिकेट के साथ आपको संपत्ति से जुड़े मूल दस्तावेज दे देता है। हालांकि अगर मृतक ने होम लोन इंश्योरेंस ले रखा है तो इसकी जरूरत नहीं पड़ती।

प्रापर्टी लीज पर है तो शर्तों का पालन जरूरी

अगर प्रापर्टी किसी को लीज पर दी गई है तो आपको उस एग्रीमेंट की शर्तों का पालन करना होगा। अगर कानूनी उत्तराधिकारी लीज को जारी रखना चाहते हैं तो लीज लेने वाले के साथ एक नया करार करना पड़ता है।

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