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Ajab Gajab : इस जानवर के दूध में व्हिस्की से ज्यादा नशा, इसको पीना आम आदमी के बस की बात नहीं

आपको जान कर हैरानी होगी की हमारी धरती पर एक ऐसा जानवर रहता है जिसकी दूध में शराब से भी की गुना ज्यादा नशा होता है और इसे पीना आम इंसान के बस की बात नहीं है।  कोसना है ये जानवर, आइये जानते हैं
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Ajab Gajab: The milk of this animal has more intoxication than whiskey, drinking it is not within the reach of a common man.

Ajab Gajab : आपके घर में गाय या भैंस का दूध आता होगा. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो कभी-कभी बकरी का दूध पीने की सलाह भी दी जाती है. गाय, भैंस या बकरी के दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिंस पाए जाते हैं. अब अगर आपसे कहा जाए कि एक जानवर ऐसा भी है, जिसके दूध में किसी भी व्हिस्‍की, बीयर या वाइन से ज्‍यादा अल्‍कोहल होता है तो आप यकीन नहीं करेंगे. उस पर ये बताया जाए कि उसके दूध को पीने से भयंकर नशा भी हो सकती है तो क्‍या आप भरोसा कर पाएंगे? लेकिन, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हथिनी के दूध में बहुत ज्‍यादा मात्रा में अल्‍कोहल पाया जाता है. आइए हथिनी के दूध पर किए गए वैज्ञानिक अध्‍ययनों के आधार पर जानने की कोशिश करते हैं कि इन दावों में कितनी सच्‍चाई है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमूमन जंगलों में और कभी-कभी किसी के पालतू के तौर पर पाई जाने वाली हथिनी का दूध पीने वाला शख्स नशे में झूम सकता है. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हाथी को गन्‍ना बहुत पसंद होता है. वहीं, गन्‍ने में अल्कोहल बनाने वाले तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. इसीलिए हथिनी के दूध में अल्कोहल पाया जाता है. कुछ शोधकर्ताओं का ये भी कहना है कि हथिनी का दूध इंसानों के पीने लायक नहीं होता है. ये इंसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

दूध के केमिकल्‍स इंसानों के लिए खतरनाक

विज्ञान ये कहता है कि कोई भी फ्रेश चीज बिना फर्मेंटेशन के अल्कोहल नहीं बन सकती है. ऐसे में कई रिपोर्ट्स में हथिनी के दूध में अल्‍कोहल पाए जाने और उसको पीने से नशा होने का दावा विश्‍वसनीय नहीं लग रहा है. हालांकि, कुछ अध्‍ययनों में कहा गया है कि हथिनी के दूध में पाए जाने वाले केमिकल इंसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. दरअसल, हथिनी के दूध में वसा और प्रोटीन बहुत ज्‍यादा मात्रा में पाया जाता है, जिसे पचाना इंसानी पाचनतंत्र के लिए काफी मुश्किल हो सकता है. हथिनी के दूध में 82.44 फीसदी पानी, 17.56 फीसदी सॉलिड कंटेंट, 5.23 फीसदी प्रोटीन, 15.10 फीसदी फैट और विटामिन ई पाया जाता है. मौसम के बदलने पर हथिनी के दूध में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है.  वहीं, इंसानों के दूध में 87 फीसदी पानी, 3.8 फीसदी फैट, 1 फीसदी प्रोटीन और 7 फीसदी लैक्‍टोज होता है. साथ ही 2.4 फीसदी तक ओलिगोसैकेराइड्स होता है.

हथिनी के दूध में लैक्‍टोस का स्‍तर बहुत ज्‍यादा

शोध के मुताबिक, अफ्रीकी हथिनी के दूध में लैक्टोस और ओलिगोसैकेराइड्स का स्तर बहुत ज्यादा पाया जाता है. ये हथिनी की स्तन ग्रंथि में अल्फा-एलए कंटेंट से जुड़ा हुआ है. काफी हद तक इसका संबंध स्पेशलाइज्ड कार्बोहाइड्रेट सिंथेसिस से जुड़ा है जहां व्हे प्रोटीन अल्फा-एलए की भूमिका में होते हैं. हथिनी के दूध की बीटा-कैसीन खूबी कैसीन मिशेल को मेनटेन कर सकती है. हालांकि, पहले यह भूमिका केवल के-कैसीन से जुड़ी हुई थी. डेयरी पशुओं में दूध का ओलिगोसैकराइड कंटेंट कम होता है. वहीं, इंसान और हाथी के दूध में इसकी मात्रा ज्यादा होती है.

12 से 18 घंटे तक खाता रहता है हाथी

दुनियाभर में हाथी की तीन अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें अफ्रीकी सवाना हाथी और अफ्रीकी वन हाथी के अलावा एशियाई हाथी शामिल हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब पांच करोड़ साल पहले धरती पर हाथियों की 170 प्रजातियां पाई जाती थीं. अब हाथी की महज दो प्रजातियां ही धरती पर बची हैं. इनमें एलिफ्स और लॉक्सोडॉन्‍टा शामिल हैं. एक सामान्‍य हाथी को हर दिन करीब 150 किलोग्राम भोजन की जरूरत पड़ती है. इसीलिए हाथी हर दिन घास, पौधे और फल खाने में ही 12 से 18 घंटे बिता देते हैं.

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