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देश की अनूठी नदी जिसका सागर में नहीं होता संगम, कहीं मीठा तो कहीं खारा है पानी

अक्सर सभी नदियों के साथ ऐसा होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी नदी भी है जो पहाड़ों से तो निकलती है, मगर समंदर में नहीं मिलती है. यह अजमेर के नाग की पहाड़ियों से निकलने वाली लूणी नदी है.
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Unique river of the country which does not merge into the ocean, at some places the water is sweet and at other places it is salty

Saral Kisan : आज हम आपको देश में एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे है जो पहाड़ों से तो निकलती है, परंतु समंदर में नहीं मिलती है. यह अजमेर के नाग की पहाड़ियों से निकलने वाली लूणी नदी है. नदी का नाम जहन में आते ही सबसे पहले यही ख़्याल आता है कि यह किसी पहाड़ो से निकलती है और समुद्र में जाकर संगम हो जाता है.

अक्सर सभी नदियों के साथ ऐसा होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी नदी भी है जो पहाड़ों से तो निकलती है, मगर समंदर में नहीं मिलती है. यह अजमेर के नाग की पहाड़ियों से निकलने वाली लूणी नदी है.

इस नदी की ख़ासियत यह भी है कि बाड़मेर जिले के बालोतरा के बाद इसका पानी खारा हो जाता है. इसी से राजस्थान के कई ज़िलों में सिंचाई की जाती है. इसलिए स्थानीय लोग इसकी पूजा भी करते हैं. लूनी नदी का उदगम अजमेर ज़िले में 772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाग की पहाड़ियों से होता है.

अक्सर आपने और हमने सुना है कि नदी पहाड़ो से निकलकर किसी समुंद्र में संगम हो जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताएंगे जो निकलती तो पहाड़ो से है लेकिन किसी भी समुंद्र में इसका संगम नही होता है. इतना ही नही इसकी एक खासियत यह भी है कि आधे जिलों में इसका पानी मीठा और बाड़मेर के बालोतरा के बाद इसका पानी खारा हो जाता है. इस नदी का नाम है लूणी नदी.

यह नदी अजमेर से निकल कर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर ज़िलों से बहती हुई गुजरात के कच्छ ज़िले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है. यह नदी 495 किलोमीटर लंबी बहती है. राजस्थान में इसकी लम्बाई 330 किलोमीटर है. इस नदी की ख़ासियत यह भी है कि यह नदी का पानी बाड़मेर जिले के बालोतरा के बाद खारा हो जाता है. रेगिस्तान क्षेत्र से गुज़रने पर रेत में मिले नमक के कण पानी में मिल जाते हैं. इस कारण इसका पानी खारा हो जाता है.

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