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Bihar में 85 मीटर मेट्रो की ये सुरंग बनकर हुई तैयार, कार्य युद्ध स्तर पर जारी

Bihar News : बिहार में ज़मीन के 16 फ़ीट नीचे बन रहे इस मेट्रो टनल का काम ज़ोरों शोरों से चल रहा है और इस टनल को 85 मीटर तक बना दिया है. कितना काम रह गया बाकी
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This 85 meter metro tunnel in Bihar is ready, work continues on war footing

Bihar Metro : मोइनुल हक स्टेडियम से पटना विवि तक पटना मेट्रो भूमिगत खुदाई को लेकर जमीन के 16 फुट नीचे लांच की गयी पहली टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) '' महावीर '' ने 85 मीटर की दूरी तय कर ली है. इसके साथ ही स्टेडियम के भूमिगत मेट्रो स्टेशन के निर्माण कार्य का इनिशियल ड्राइव पूरा हो गया है. शुक्रवार से टीबीएम ने मेन ड्राइव यात्रा शुरू कर दी है. मेट्रो अधिकारियों की मानें तो अब टनल की खुदाई ऑटोमेटिक होगी, जिससे समय कम लगेगा. टीबीएम को विवि तक की शेष दूरी तय कर ब्रेक थ्रू करने में नवंबर-दिसंबर तक का समय लग सकता है. यह दूरी करीब 1.3 किमी है.

तीन चरण में भूमिगत मेट्रो लाइन का निर्माण

डीएमआरसी के अधिकारी ने बताया कि टनल बोरिंग मशीन द्वारा भूमिगत मेट्रो लाइन के निर्माण को मुख्य तौर पर तीन चरणों में विभाजित किया जाता है. इसमें प्रथम चरण इनिशियल (प्राथमिक) ड्राइव होता है, जिसमें टीबीएम लॉन्चिंग शाफ्ट से टनल की खोदाई का काम शुरू करती है. इस चरण में शुरुआती रिंग सेगमेंट्स को मैनुअल तरीके से लगाया जाता है, जिससे मशीन में लगे थ्रस्ट जैक, इन्ही अस्थाई रिंग सेगमेंट्स की मदद से टीबीएम को आगे बढ़ाते हैं. इसके बाद टीबीएम मेन ड्राइव में पहुंचती है, जिसमें टीबीएम खोदाई के साथ ही स्थायी रिंग सेगमेंट्स लगाते हुए टनल का निर्माण करती है.

फ्रंट शील्ड में लगी कटिंग हेड काटेगी मिट्टी

अधिकारियों के मुताबिक टनल बोरिंग मशीन विभिन्न हिस्सों में विभाजित होती है. टीबीएम के सबसे अग्रिम भाग फ्रंट शील्ड में कटिंग हैड होता है, जिसकी मदद टीबीएम मिट्टी को काटते हुए सुरंग की खोदाई करती है. मेन ड्राइव में इसका ऑटोमेटिक उपयोग होगा. कटिंग हैड में एक विशेष किस्म के केमिकल के छिड़काव की भी व्यवस्था होती है, जो कि कटिंग हेड पर लगे नॉजल के द्वारा मिट्टी पर छिड़का जाता है. इस केमिकल की वजह से मिट्टी कटर हैड पर नहीं चिपकती और आसानी से मशीन में लगी कनवेयर बेल्ट की मदद से मशीन के पिछले हिस्से में चली जाती है. यहां से ट्रॉली के जरिए मिट्टी को टनल से बाहर लाकर डंपिंग एरिया में भेज दिया जाता है.

राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन पर डि-वॉल केज डालने के लिए खुदाई शुरू

मोइनुलहक स्टेडियम और आकाशवाणी भूमिगत मेट्रो स्टेशन के बाद राजेंद्र नगर भूमिगत स्टेशन निर्माण को लेकर '' डि-वॉल केज '' डाले जाने के लिए खोदाई शुरू हो गयी है. यह खोदाई राजेंद्र नगर टर्मिनल के सामने हो रही है. डीएमआरसी के मुताबिक '' डि-वॉल केज '' लोहे की सरिया और मजबूत कंक्रीट से तैयार होता है, जिसे जमीन के अंदर काफी गहराई तक डाला जाता है. यह वॉल टनलिंग के दौरान भूमिगत खुदाई, स्लैब निर्माण या ट्रैक वर्क होने पर आस-पास की जमीन की सतह को ढहने से बचाता है. राजेंद्र नगर से पहले मोइनुल हक स्टेडियम के पास डि-वॉल को 82 फुट गहरे गढ्ढे में जबकि आकाशवाणी (फ्रेजर रोड) के पास करीब 25 से 30 मीटर गहरी और लगभग 1.5 मीटर चौड़ाई में जमीन के भीतर डाला गया था.

आइएसबीटी एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन निर्माण को लेकर पहला यू-गार्डर लांच

पटना मेट्रो के एलिवेटेड स्टेशन शक्ल लेते दिखने लगे हैं. शुक्रवार को प्रायोरिटी कॉरिडोर (मलाही पकड़ी से आइएसबीटी) पर आइएसबीटी मेट्रो स्टेशन निर्माण को लेकर पहला यू-गार्डर लांच किया गया. यह न्यू पाटलिपुत्र बस टर्मिनल के पास है. डीएमआरसी अधिकारियों ने बताया कि पिलर पर रखे गये पियर कैप पर यू-गार्डर रखे जाते हैं. इन यू-गार्डर पर ही स्टेशन का निर्माण होता है.

18 किमी लंबे भूमिगत खंड के लिए दो मेट्रो लाइन तैयार होगी

पटना मेट्रो के कॉरिडोर टू में पाटलिपुत्र आइएसबीटी स्टेशन से पटना जंक्शन रूट पर 18 किमी लंबे भूमिगत खंड के लिए दो मेट्रो लाइन तैयार होगी. इसके लिए पटना जंक्शन से मलाही पकड़ी के पहले तक कटर कवर मिला कर टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) कुल 36 किमी की खुदाई करेगा. बाकी मलाही पकड़ी से पाटलिपुत्र बस स्टैंड का काम एलिवेटेड होगा. मोइनुलहक स्टेडियम से निकला टनल बोरिंग मशीन एक किमी और 400 मीटर दूरी तय करके यूनिवर्सिटी में निकलेगा. एक महीने के अंतराल पर चला दूसरा टीबीएम भी दूसरे छोर पर पहुंच जायेगा.

विवि से दोबारा लांच कर गांधी मैदान तक जायेगा टीबीएम

डीएमआरसी अधिकारियों के मुताबिक जब दोनों टीबीएम विवि से निकल जायेगा, तब उसे दोबारा दूसरे छोर से गांधी मैदान तक के लिए लांच किया जायेगा. इस टीबीएम को पीएमसीएच में नहीं निकाला जाएगा. दोनों टीबीएम ड्रेग थ्रू होते हुए गांधी मैदान में निकलेगा. फिर इसी स्टेशन के दूसरे छोर पर (टीबीएम) शुरू होगा. इस तरह से दोनो टीबीएम काम पूरा कर लेंगे. दो और टीबीएम इस पैकेज में हैं. एक गांधी मैदान से शुरू होकर पटना जंक्शन से पहले खत्म होगा. इसके बाद मोइनुल हक स्टेशन के दूसरे छोर पर काम शुरू होगा और मलाही पकड़ी से पहले कटर कवर टनल में निकलेगा.

चार से पांच साल में पूरा होगा पटना मेट्रो का काम

पटना मेट्रो के निदेशक (कार्य) के मुताबिक चार साल में टनल और पांच साल में स्टेशन का काम पूरा कर लिया जायेगा. मेट्रो के लिए एयरकंडीशनिंग, सिग्निलिंग, ट्रैक, ट्रैक्शन एवं ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट आदि तैयार कर उसे इंटीग्रेट करने में भी काफी वक्त लगता है.

60 हाथी के वजन के बराबर एक टीबीएम

मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक टीबीएम का वजन करीब 60 हाथी के वजन के बराबर है. पटना की नरम मिट्टी और जमीन के दबाव संतुलन को देखते हुए ही इस टीबीएम का डिजाइन और निर्माण सीआरसीएचआइ (चीन रेलवे निर्माण भारी उद्योग निगम लिमिटेड) ने किया है. टीबीएम के मुख्य बॉडी की लंबाई लगभग नौ मीटर जबकि अर्थ प्रेशर बैलेंस की पूरी लंबाई लगभग 95 मीटर है. टीबीएम के संचालन के दौरान ग्राउंड मॉनिटरिंग सूचना विश्लेषण के साथ खनन, ग्राउटिंग, रिंग बिल्डिंग की एक सतत प्रक्रिया पूरी होती जायेगी. अधिकारियों के मुताबिक टीबीएम में लगे स्टील रीइंफोर्समेंट केज में कंक्रीट सेट के छोटे खंडों का उपयोग सुरंग की स्थायी परत बनाने के लिए किया जाता है. प्रत्येक टनल रिंग छह खंडों को एक साथ जोड़ कर व्यवस्था को लॉक करता है. यह टनल बोरिंग मशीन को आगे बढ़ने में मदद भी करता है.

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