दिल्ली से काठमांडू पहुंचना होगा आसान, 141 किलोमीटर ट्रैक पर खर्च होंगे 24 हजार करोड़
Saral Kisan : भारत के तीन पड़ोसी देशों के साथ रेल नेटवर्क को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट काम में है। हाल के दिनों में, नेपाल के साथ हुआ एक महत्वपूर्ण कदम, जिसमें जनकपुर से कुर्था तक की रेललाइन का विस्तार किया गया है। अब इस प्रोजेक्ट का अगला माध्यम है काठमांडू, नेपाल की राजधानी को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ना। इस परियोजना के तहत बिहार के रक्सौल से काठमांडू तक 141 किलोमीटर की रेल लाइन बिछाई जाएगी, जिसकी लागत लगभग 24 हजार करोड़ रुपये होने की संभावना है।
कोंकण रेलवे ने इस प्रोजेक्ट के लिए स्थल सर्वे किया है, और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को नेपाल सरकार के साथ साझा किया गया है। नेपाल सरकार के अभिमत के बाद, निर्माता कंपनी एक अंतिम सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करेगी और उसके बाद काम शुरू हो सकेगा। हालांकि, इस प्रोजेक्ट के निर्माण और वित्तीय सहायता के तरीकों पर द्विपक्षीय बातचीत और सहमति के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा, क्योंकि इस प्रोजेक्ट में पहाड़ों और घाटियों के साथ कई सुरंगों और पुलों के निर्माण की योजना है, जिसके कारण लागत में वृद्धि हो सकती है।
रक्सौल से काठमांडू तक इस रेलमार्ग में 41 पुल और 40 से अधिक मोड़ होंगे, और ट्रेनें चोभर, जेतपुर, निजगढ़, सिखरपुर, सिसनेरी, और सतिखेल जैसे स्थानों से गुजरेंगी। यह एक पूरी तरह बिजली आधारित ब्राडगेज प्रोजेक्ट है, जिससे यात्रा को सस्ता और सुविधाजनक बनाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट से दोनों देशों के बीच की परिवहन प्रणाली में सुधार हो सकता है, क्योंकि भारत-नेपाल के व्यापारिक संबंध आज भी दूसरे पड़ोसी देशों के मुकाबले मजबूत हैं। इस प्रोजेक्ट की मंजूरी पहले ही 2018 में हुई थी, जब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिल्ली का दौरा किया था। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, नेपाल और भारत दोनों अपने आपसी सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।
नेपाल और बांग्लादेश के साथ अभी पांच नई, 125 किमी लंबी और 2,722 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इसके अलावा, नेपाल और बांग्लादेश के साथ भी कई और परियोजनाएं चल रही हैं, जो यातायात को सुधारने का लक्ष्य रखती हैं। इन परियोजनाओं में बालुरघाट-हिली, जोगबनी-विराटनगर (नेपाल), अगरतला- अखौरा (बांग्लादेश) और महिसासन (भारत) - जीरो प्वाइंट (बांग्लादेश) शामिल हैं। इन परियोजनाओं के माध्यम से, दोनों देशों के बीच के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध और भी मजबूत हो सकते हैं।
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