Nag Panchami: कब मनाई जाएगी नाग पंचमी, नाग देवता की पूजा होगा कालसर्प दोष दूर
Nag Panchami 2024 : देश के सभी राज्यों में नाग पंचमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. नाग पंचमी के त्योहार पर नागों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है. नाग पंचमी के अवसर पर अपने घर के मुख्य दरवाजे पर सांप की प्रतिमा अवश्य बनानी चाहिए.
Nag Panchami Ke Din Kya Kare : नागपंचमी 9 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन सनातन धर्म के लोग श्रद्धापूर्वक नाग देवता की पूजा कर सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करेंगे। कई सालों से सपेरों के शहर में सांप लेकर घूमने पर रोक लगी हुई है, श्रद्धालु मंदिरों और घरों में नाग प्रतिमाओं और उनके चित्रों की पूजा करेंगे।
सबसे ज्यादा भीड़ शिव मंदिरों
सावन होने के कारण पूजा के लिए सबसे ज्यादा भीड़ शिव मंदिरों में ही होगी। चौरसिया समाज के लिए यह दिन सबसे खास होता है। समाज में नाग को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। कई अन्य समाजों में भी नाग देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। कई अन्य समाज भी नाग कुल से जुड़े होने के कारण विशेष पूजा करते हैं। दाल-बाटी, चूरमा आदि व्यंजन बनाकर बांटे जाते हैं। खास बात यह है कि इस बार नाग पंचमी पर शिव, सिद्ध, साध्य बलकरण योग और हस्त नक्षत्र रहेगा, जो अत्यंत शुभ रहेगा।
इस योग में नाग की पूजा करने से शिव प्रसन्न होते हैं। ज्योतिषाचार्य स्मिता पंडित ने बताया कि सावन माह होने के कारण शिव और साध्य योग बेहद खास है। इस योग में की गई नाग पूजा से शिव भी प्रसन्न होंगे। सनातन धर्म में चौरसिया समाज समेत कई समाजों में नागदेवता को कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन कई घरों में दालबाटी और चूरमा आदि व्यंजन बनाए जाते हैं।
कालसर्प दोष की होगी पूजा
पं. भंवरलाल शर्मा ने बताया कि इस दिन कई लोग पीड़ा के लिए तर्पण करेंगे और कालसर्प दोष की पूजा करने के लिए धार्मिक स्थलों पर भी जाएंगे। इस दिन लोग शिवलिंग पर चांदी, पीतल और तांबे आदि से बनी नागों के जोड़े की छोटी मूर्तियां चढ़ाते हैं।
चौरसिया समाज का संबंध नागबेल से है
चौरसिया समाज के लोग महात्मा चौकी की संतान हैं। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों द्वारा किए गए महायज्ञ में ताम्बूट (पान) की आवश्यकता पड़ी थी। इसे पान कराने की जिम्मेदारी पौषी महाराज को दी गई थी। पाताल लोक के राजा वि नाग ने अपना एक अंग काटकर महर्षि चचैत्र को दे दिया था। इसे धरती पर रोपने पर एक बेल उगी, जिसे सबेल कहा गया। धरती पर नालावेल से पान समाज को सौंपा गया।
कालसर्प दोष से मुक्ति
कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, यदि कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है, तो इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।
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