ठंडी हवा देने के साथ-साथ खतरनाक भी होता है AC, इन नियमों का पालन कर करें बचाव 
 

Air Conditioning : उत्तर भारत का अधिकतर हिस्सा लू की चपेट में आ गया है। मई महीने से ही तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते 14 सालों में सबसे लंबा समय रहा है जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है।

 

AC Cause For Heat : उत्तर भारत का अधिकतर हिस्सा लू की चपेट में आ गया है। मई महीने से ही तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बीते 14 सालों में सबसे लंबा समय रहा है जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है। इस भीषण गर्मी के बीच एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप AC का इस्तेमाल करते है तो इसके लिए कई माप दंड तैयार करने चहिए। AC की वजह से जहां शहर गर्म हो रहे हैं, वहीं आग की घटनाएं भी काफी देखने को मिल रही है। 

आग का खतरा 

इंस्टिट्यूट ऑफ़ टाउन प्लेनस के पूर्व सचिव भारत श्रीनिवासन ने बताया कि भारत में दिल्ली और इसके लगता कई शहरों में अनियंत्रित शहरीकरण के चलते नए सिर्फ शहर अधिक गर्म हो रहे हैं, बल्कि आग की घटनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। गर्मी की वजह से बिल्डिंग में आग लग रही है और अधिक गर्मी में एयर कंडीशनर प्रतिकूल असर डालती है। जिसकी वजह से AC ओवरलोड हो जाता है। दिल्ली जैसे शहरों में हर घर में AC का इस्तेमाल किया जाता है। उनका कहना है कि वातावरण में गर्मी बढ़ने से न सिर्फ बिजली का लोड बढ़ता है, बल्कि AC के कंप्रेशन फटने का भी खतरा रहता है। 

अगर घरों में एक का अधिक इस्तेमाल किया जाता है तो 33 किलो वाट पावर स्टेशन के ट्रांसफार्मर में भी आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अगर किसी कमी की वजह से अधिकतर घरों और दुकानों में ऐसी बाहर की तरफ लगे होते हैं। जिससे सूरज की सीधी रोशनी उन पर पड़ती है। स्प्लिट एसी का कॉलिंग यूनिट आमतौर पर बाहर लगता है। इसके चलते वह आग जल्दी पकड़ सकते हैं। 

एक्सपर्ट्स ने बताया कि अब वह समय आ चुका है जब लोगों को सावधान करने की जरूरत है। CSE की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमित राय चौधरी ने बताया कि जल्दी ठंडा करने के चक्कर में लोग एसी का टेंपरेचर 16 से 18 के बीच रखते हैं। यह वातावरण के लिहाज से भी सही नहीं है। भीषण गर्मी के बीच भी हमेशा AC को 24 से 26 डिग्री तक चलना चाहिए। जिससे बिल में भी 20 से 30% की कटौती आएगी। 

एक्सपट्र्स कामना है कि दिल्ली जैसे शहर में जैसे ही जनता का बोझ बढ़ रहा है। तो लोगों को ऊंची ऊंची इमारत में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस दिक्कत से बताने के लिए हमें ब्लू ग्रीन यानी हरियाली को बचाना जरूरी है। 1970 और 80 से दशक में यहां 200 से अधिक जलाशय थे जो अब मात्र 20 रह गए हैं। उस समय तापमान मुश्किल से 45 पार करता था। कंक्रीट बढ़ जाने के कारण इसका सीधा असर तापमान पर पड़ता दिखाई दे रहा है। घरों में कांच का इस्तेमाल भी अधिक किया जा रहा है। 

नियमों में किया जाए बदलाव 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि नियमों में बदलाव करके भीषण गर्मी से बचा जा सकता है। सबसे पहले सभी बिल्डिंगों में एनर्जी ऑडिट बिजली खपत के आधार पर बिजली रेट लागू किए जाने चाहिए। सभी बिल्डिंगों को अपने पूरे बिल्ड अप एरिया की सालाना बिजली खपत बताना जरूरी है। Ac के स्टैंडर्ड तैयार किए जाने चाहिए और इनका शक्ति से पालन किया जाना चाहिए। पंख और कूलर के लिए भी स्टैंडर्ड तय किए जानी चाहिए।