बिहार का यह बिजनसमैन सिर्फ किराए से कमाता है 770 करोड़ रुपए, कुल कमाई जान चोंक जायेंगे
Bihar : भारत के लोगों में बिहार की छवि सबसे पिछड़े, गरीब और अविकसित राज्य के रूप में है. पूरे देश में यह छवि है कि बिहार के लोग प्रवासी मजदूर के रुप में दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं और इनसे उनकी आजीविका चलती है. लेकिन बिजय अग्रवाल नाम का यह युवा कई मायनों में अलग है. हैदराबाद में Bijay Aggrawal की एक बिल्डिंग की 9 मंजिल दुनिया के दिग्गज बैंक गोल्डमैन ने किराए पर ली है. 117 महीने के लिए किराए पर लिया गया यह फ्लोर 4.14 करोड़ रुपए महीने के रेंट पर है. कंपनी ने देवभूमि रिएल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के पास 35.2 करोड़ रुपए डिपाजिट कर यह फ्लोर किराए पर लिया है.
देवभूमि रिएल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड सत्वा ग्रुप की एक कंपनी है. हैदराबाद की इस बिल्डिंग में 12 मंजिल हैं. बिजय अग्रवाल सत्वा ग्रुप के एमडी और प्रमोटर हैं. हैदराबाद के नॉलेज सिटी में मौजूद इस बिल्डिंग का नाम ओपल ब्लॉक है. विजय अग्रवाल साल 1993 से इस कारोबार के एमडी हैं.
साल 2021 में आईसीआरए या इकरा की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सालारपुरिया सत्वा ग्रुप के पास 55.4 मिलियन स्क्वायर फुट बिल्ट अप एरिया है. साल 2021 में कंपनी ने सिर्फ किराए से 761 करोड़ रुपए की रकम कमाई थी. बेंगलुरु में यह कंपनी 34 साल से कामकाज कर रही है.
बेंगलुरु के बाद अब हैदराबाद भी
पिछले दो-तीन साल से बिजय अग्रवाल की कंपनी ने हैदराबाद में अपना कदम बढ़ाना शुरू किया है. हैदराबाद और बेंगलुरु में बिजय अग्रवाल की कंपनी ने अपनी काफी प्रॉपर्टी लीज पर दी हुई है. साल 2020 में बिजय अग्रवाल की कंपनी का सालाना रेंटल 857 करोड़ रुपया था. बिजय अग्रवाल की कंपनी के किरायेदारों में जेपीएमसी, माइक्रोसॉफ्ट, नोवर्टिस, गूगल आदि हैं. इस कंपनी की स्थापना जीडी सालारपुरिया ने की थी.
बांग्लादेश से आए थे भारत
देवभूमि रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड इसी ग्रुप की एक स्पेशल परपज व्हीकल कंपनी है. साल 2020 में बिजय अग्रवाल की कंपनी का कामकाजी रेवेन्यू 1730 करोड़ रुपए था जबकि टैक्स चुकाने के बाद उसका मुनाफा 581 करोड़ रुपए था. विजय अग्रवाल पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं. उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई नए रिकॉर्ड बनाए हैं. साल 1965 में बिजय अग्रवाल के माता-पिता बांग्लादेश से भारत आए थे. उनके पिता एक छोटे कारोबारी थे. बिहार के किशनगंज के रहने वाले बिजय अग्रवाल का बचपन वहीं बीता है.
कोलकाता में सीखा कन्स्क्ट्रक्शन
दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पश्चिम बंगाल के रानीगंज चले गए. साल 1985 में बिजय अग्रवाल कोलकाता चले आए थे. उन्होंने एक फाइनेंस कॉरपोरेशन में काम करना शुरू कर दिया. इस समय एक अनफिनिश्ड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को उनकी कंपनी को टेकओवर करना था. इसके लिए बिजय अग्रवाल ने काफी काम किया. उन्हें इस प्रोजेक्ट का इंचार्ज बना दिया गया और उन्होंने अगले ढाई साल में उस प्रोजेक्ट को फिनिश कर दिया.
90 दिन की जगह 67 दिन में काम पूरा
इसके बाद उन्होंने कंस्ट्रक्शन बिजनेस की बारीकियां सीख ली. इसके बाद विजय अग्रवाल ने कई कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट किए. विजय अग्रवाल को जीडी सालारपुरिया ने भी काफी कामकाज सिखाया. साल 1993 में विजय अग्रवाल ने बेंगलुरु में पहली प्रॉपर्टी खरीदी. मनी चैंबर्स नाम की यह प्रॉपर्टी समय पर पूरी हो गई. उसके बाद उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनियों को इसे किराए पर दे दिया. बिजय अग्रवाल ने इंटेल के लिए एक प्रोजेक्ट सिर्फ 67 दिन में पूरा कर दिया था जबकि उन्हें इसके लिए 90 दिन का समय मिला था. विजय अग्रवाल का नेटवर्थ साल 2021 में 4170 करोड रुपए था.
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