उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण का जयपुर मॉडल होगा लागू, मुहावजे के साथ मिलेगी जमीन

यूपी के आवास विभाग ने विकास प्राधिकरणों को जमीन देने के लिए जल्द ही एक नई नीति बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए जयपुर मॉडल को देखा जा रहा है। विकास प्राधिकरण किसानों से समझौते पर जमीन लेगा, पैसे देगा और मुख्य मार्ग के किनारे व्यवसायिक जमीन देगा।
 

भूमि अधिग्रहण : यूपी के आवास विभाग ने विकास प्राधिकरणों को जमीन देने के लिए जल्द ही एक नई नीति बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए जयपुर मॉडल को देखा जा रहा है। विकास प्राधिकरण किसानों से समझौते पर जमीन लेगा, पैसे देगा और मुख्य मार्ग के किनारे व्यवसायिक जमीन देगा। उच्चाधिकारियों का मत है कि इस नए मॉडल से किसान विकास प्राधिकरणों को जमीन देना आसान होगा।

शहरी क्षेत्रों में खत्म हो रही जमीन

शहरों में जमीनें धीरे-धीरे कम हो रही हैं, और विकास प्राधिकरणों को किसानों को जमीन देने की इच्छा नहीं है। समझौते पर पहले भी राज्य सरकार ने किसानों से जमीन लेने की कोशिश की है, लेकिन इसके बाद भी जमीन नहीं मिल पाई है। विकास प्राधिकरण की माली हालत लगातार खराब होती जा रही है क्योंकि वे सिर्फ बची-खुची जमीन पर योजनाएं लाकर काम कर रहे हैं। जयपुर मॉडल का अध्ययन आगरा विकास प्राधिकरण ने किया है। इसका प्रस्तुतीकरण पिछले दिनों बैठक में अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण की अध्यक्षता में किया गया था।

सलाह लेकर निर्णय लेंगे

इसके लिए राज्य के सभी विकास प्राधिकरणों से सुझाव मांगे जाएंगे। उन्हें इसका मसौदा भेजा जा रहा है। इसके अनुसार, किसानों को जमीन खरीदते समय बताया जाएगा कि उनसे जमीन की दर क्या होगी। साथ ही, उन्हें प्रस्ताव दिया जाएगा कि वे अपनी जमीन का कुछ हिस्सा योजना के मुख्य मार्गों पर दे देंगे, जिससे वे व्यवसाय कर सकें। किसान चाहे तो उसे सीधे बेच सकता है। उसे सीधे रजिस्ट्री करने की अनुमति मिलेगी। उच्चाधिकारियों का मानना है कि इससे किसान विकास प्राधिकरण को जमीन देने का रुख बढ़ेगा।

प्राधिकरणों को बहुत कम जमीन बची है

शासन स्तर पर हुई समीक्षा के अनुसार, जुलाई तक प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद के पास कुल 4159.95 हेक्टेयर जमीन बची है। प्रदेश के 14 विकास प्राधिकरणों के पास कोई जमीन नहीं है।

मास्टर प्लान को तैयार करने में देरी से असंतोष

प्रदेश के 59 शहरों का मास्टर प्लान बनाने में देरी से आवास एवं शहरी नियोजन विभाग नाराज है। विकास प्राधिकरणों को एक सप्ताह में अंतिम रूप देते हुए शासन स्तर पर प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। 2023-24 के लिए चिह्नित शहरों की अमृत योजना में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। केंद्रीय सरकार के निर्देशों के अनुसार, इसे 30 जून 2023 तक तैयार होना चाहिए था, लेकिन अभी तक नहीं हो पाया है। पांच लाख से अधिक लोगों वाले बीस शहरों को नामांकित किया गया है। शासन स्तर पर इन तीन शहरों (बरेली, मुरादाबाद और हापुड़) की समीक्षा की जा रही है।

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