क्यों इन पाँच देशों को बदलने पड़े अपने नाम, कहानी जान रह जाएंगे हैरान

1971 में युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान से आदिकाल स्वतंत्रता की घोषणा की और बांग्लादेश का नाम किया। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के माध्यम से इसकी स्वतंत्रता की उपरांत इसका नाम बदला गया। जानें विस्तार से
 

Countries Name Change : दुनिया के विभिन्न देशों ने अपने नामों में समय-समय पर परिवर्तन किया है। यहाँ, हम पांच ऐसे देशों की कहानी साझा कर रहे हैं जिन्होंने अपने नामों में बदलाव करने का रोचक प्रसंग देखा है। इन देशों ने अपनी पहचान को बनाए रखते हुए अपने नामों में परिवर्तन किया है।

पूर्वी पाकिस्तान से बना बांग्लादेश

1971 में युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान से आदिकाल स्वतंत्रता की घोषणा की और बांग्लादेश का नाम किया। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के माध्यम से इसकी स्वतंत्रता की उपरांत इसका नाम बदला गया। इस देश के निर्माण में भारत का महत्वपूर्ण योगदान था।

चेक गणराज्य और स्लोवाकिया

1993 में चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के परिणामस्वरूप दो अलग-अलग देश, चेक गणराज्य और स्लोवाकिया का नामकरण हुआ। यह नामकरण दो जातीय समूहों, चेक और स्लोवाक, के बीच स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय की इच्छा पर आधारित था।

पहले बर्मा, अब म्यांमार

बर्मा का नाम 1989 में सैन्य जुंटा ने म्यांमार में बदल दिया। इस परिवर्तन को अंतरराष्ट्रीय विवाद और विरोध का सामना करना पड़ा। कुछ देशों ने अब भी इसे बर्मा के नाम से जानने का समर्थन किया है, जबकि अन्य देश म्यांमार के नाम का उपयोग करते हैं।

श्रीलंका पहले था सीलोन

1972 में द्वीप राष्ट्र सीलोन ने अपना नाम बदलकर श्रीलंका कर लिया। यह नाम सिंहली भाषा से लिया गया है और इसका उद्देश्य देश की अपनी अनूठी बहुसांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के साथ-साथ ब्रिटिश शासन के तहत अपने ऐतिहासिक अधिकारों को भी महत्व देना था।

सियाम अब बना थाईलैंड

थाईलैंड को 1939 तक सियाम के नाम से जाना जाता था। इसके उद्देश्य था स्वतंत्रता और थाई लोगों की राष्ट्रीय गौरव की भावना को मजबूती देना और स्वतंत्र भूमिवाला देश के रूप में परिचयित करना।

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