उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों को लेकर योगी सरकार का बड़ा कदम, पुजारियों और संतों को मिलेगा पैसा 
 

UP News : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों को लेकर बड़ी घोषणा की है। प्रदेश में अब बुजुर्ग पुजारी और संतों को मानदेय देने पर प्लान बना रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे राज्यों की तर्ज पर व्यवस्था का अध्ययन करके रिपोर्ट जल्दी देने का आदेश दिया है। 

 

Uttar Pradseh News : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों, मंदिर व मठों को लेकर बड़ी तैयारी में लगी हुई है। योगी सरकार प्रदेश में धार्मिक स्थलों की जानकारी मुहैया करने के लिए एक नया पोर्टल बनाने वाली है. धार्मिक स्थलों के लिए नया पोर्टल बनाने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में अब 60 साल से ज्यादा उम्र की पुजारी और संतों को मानदेय देने की भी बड़ी तैयारी कर रही है. अधिकारियों को आदेश जारी हुए हैं कि दूसरे राज्यों की तर्ज पर व्यवस्थाओं को अच्छी तरह अध्ययन  करके जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश की जाए.

कई योजनाओं का प्रस्तुतीकरण

धर्मार्थ कार्य निदेशालय ने पिछले सोमवार (1 जुलाई) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई योजनाओं का प्रस्तुतीकरण दिया। इस दौरान नया पोर्टल बनाने के बारे में चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सच्ची जानकारी पहले प्राप्त की जाएगी। साथ ही, मुख्यमंत्री ने पुजारियों और संतों के लिए मानदेय की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। CM योगी ने इस बैठक में संतों को मानदेय देने के लिए एक बोर्ड बनाने पर भी चर्चा की। इसके अलावा, शिक्षा और बौद्ध तीर्थों की यात्रा के लिए अनुदान देने का भी विचार हुआ था। सरकार ने पहले ही बजट में दस-दस लाख रुपये इसके लिए रखे हैं। इसके अलावा, मंदिरों का जीर्णोंद्धार भी विचार किया गया।

तीन लाख पूजा स्थल

2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग तीन लाख पूजा स्थल हैं। 3 लाख 54 हजार 421 पूजा स्थलों में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च हैं। यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में 295399 पूजा स्थल और शहरी क्षेत्रों में 59022 पूजा स्थल हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रयागराज जिले में 12390 पूजा स्थल हैं, जो राज्य में सबसे अधिक हैं।

इस जनगणना के अनुसार जौनपुर में 9340 पूजा स्थल हैं, रायबरेली में 9301, आजमगढ़ में 7902, सीतापुर में 7737, प्रतापगढ़ में 7872, गाजीपुर में 7250, आगरा में 7030 और गोरखपुर में 7017। 2011 की जनगणना में गोरखपुर में सबसे कम पूजा स्थल थे।