Wife's Property Right : पति की खानदारी संपत्ति में पत्नी का कितना हिस्सा, जानिए क्या है कानून

Wife's Property Right : प्रोपर्टी के नियमों और कानूनों के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। यही वजह है कि हम आपको बताने जा रहे हैं कि पत्नी का पति की खानदानी संपत्ति में कितना हिस्सा होता है.. चलिए इससे जुड़ा कानूनी प्रावधान नीचे खबर में पढ़ते हैं। 

 

Saral Kisan (नई दिल्ली) : एक महिला पत्नी होने के साथ साथ बेटी या बहू भी होती है। आप सामाजिक तौर पर महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों पर बहस कर सकते हैं। लेकिन महिलाओं को कानूनी तौर पर कई अधिकार मिले हैं। इन अधिकारों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

आज हम आपको महिलाओं के लिए संपत्ति के कुछ ऐसे अधिकारों के बारे में बता रहे हैं। केवली की पहली पत्नी और दूसरी पत्नी को कानूनी रूप से कई अधिकार मिलते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं। साथ ही, एक पत्नी को अपने पति की संपत्ति में हिस्सेदारी लेने का अधिकार होता है।

किसी भी कपल को तलाक का समय बहुत परेशान करता है। पति-पत्नी एक दूसरे से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, साथ ही मानसिक और भावनात्मक रूप से भी परेशान हैं। तलाक से पहले दोनों एक ही घर में रहते थे, तो अब किसे यह घर मिलेगा? क्या होगा अगर उनके पास बैंक अकाउंट में ज्वाइंट हिस्सेदारी या संपत्ति है?

पति-पत्नी के आपसी सहमति से तलाक होता है और पति के नाम पर संपत्ति है, तो पत्नी को हिस्सेदारी नहीं मिल सकती। यदि मान लीजिए कि पत्नी उस घर में रह रही है, जिसे पति ने खरीदा है और उनके नाम पर है, तो पत्नी तलाक के बाद इस घर पर दावा नहीं कर सकती। भारतीय कानून के तहत, जो व्यक्ति के नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड है, वह ही संपत्ति पर अधिकारी है। इस तरह की स्थिति में पत्नी अपने पूर्व पति से संपत्ति का कानूनी दावा नहीं कर सकती है।

अगर दोनों मालिक हैं—

आजकल, अधिकांश कपल्स दोनों के नाम पर संपत्ति रजिस्टर करते हैं। पति-पत्नी दोनों इस प्रकार की संपत्ति का मालिक हैं। दोनों को तलाक के बाद अपनी-अपनी संपत्ति का कानूनी दावा करने का अधिकार है। इस दावे के लिए, हालांकि, पत्नी को प्रॉपर्टी खरीदने में सहयोग देना आवश्यक है। अगर पत्नी ने संपत्ति खरीदने में कोई योगदान नहीं दिया है, लेकिन इसके बाद भी उनके नाम पर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वह इस पर दावा नहीं कर सकती।

पत्नी ज्वाइंटली मालिकाना वाली संपत्ति में उतनी हिस्सेदारी की मांग कर सकती है जितनी उन्होंने खरीदारी में दी है। ऐसे में, महिलाएं भी इस तरह की संपत्ति को लेकर अपने डॉक्युमेंट्स दुरुस्त करें। कपल्स शांतिपूर्वक अपने स्तर पर इसे लेकर समझौता कर सकते हैं अगर वे चाहें। किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को खरीदने का अधिकार किसी को है।

क्या होगा अगर दोनों अलग हो गए हैं और तलाक की प्रक्रिया चल रही है?

यह महत्वपूर्ण है कि पति-पत्नी के बीच कानूनी रिश्ता तब तक कायम रहता है जब तक कि न्यायालय ने उनके बीच "तलाक" पर मुहर नहीं लगाया है। कोर्ट का निर्णय आने तक पत्नी को पति की संपत्ति पर ही अधिकार होता है। ऐसा भी हो सकता है कि पति इस दौरान किसी और महिला के साथ रहने लगता है या उनसे शादी कर लेता है। महिला की पहली पत्नी और उनके बच्चों को इस संपत्ति पर पूरा हक होगा।

पति की संपत्ति पर महिला का अधिकार—

पति की संपत्ति पर महिला का बराबर अधिकार है। हालाँकि, पत्नी का कोई अधिकार नहीं होगा अगर पति ने इस संपत्ति पर से उसका नाम अपने वसीयत में हटा दिया है। इसके अलावा, पत्नी पति की खानदानी संपत्ति पर अधिकारी होगी। पत्नी को अपने ससुराल में रहने का अधिकार होगा।

पत्नी की संपत्ति पर दूसरी पत्नी का अधिकार—

यदि कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी से कानूनी रूप से अलग होने के बिना ही दूसरी शादी कर लेता है, तो दूसरी पत्नी और उससे होने वाले बच्चे के अधिकार सीमित हो जाते हैं। कानूनी तलाक होने तक पहली पत्नी का ही अधिकार है। हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत एक व्यक्ति एक समय में एक से अधिक विवाह नहीं कर सकता।

यदि पहली पत्नी मर जाती है या तलाक के बाद कोई दूसरी शादी करता है, तो दूसरी पत्नी को सभी अधिकार मिलते हैं। इसमें पति की संपत्ति पर अधिकार भी शामिल हैं। ऐसी स्थिति में दूसरी पत्नी को भी अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होगा। इस प्रकार, किसी व्यक्ति की दूसरी पत्नी का अधिकार कानूनी रूप से वैध है या नहीं।

ये सर्टिफिकेट बनाने का प्रक्रिया:

भारत के कई राज्यों में, जैसे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी, आप एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट ऑनलाइन मांग सकते हैं। वहीं, ऑफलाइन बनवाने के लिए आपको स्थानीय तहसीलदार के कार्यालय में जाना होगा। यहां आपको फॉर्म भरने के साथ आवश्यक दस्तावेजों को जमा करना होगा, जैसे एड्रेस प्रूफ, संपत्ति की जानकारी जिसके लिए वह ईसी मांग रहा है, संपत्ति के लिए डीड बनाया गया है तो डीड की कॉपी, आदि। एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी होने में 15 से 30 दिन लगते हैं। 12 से 30 वर्ष तक का एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट बनवाया जा सकता है।

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