बासमती चावल क्यों होता है इतना महंगा? क्या है इसके खास गुण

Basmati Rice Price:बासमती चावल दूसरे सामान्य चावलों से काफी महंगे होते हैं. कभी सोचा है कि इनमें ऐसा क्या खास है कि लोग एक किलो चाव के इतने ज्यादा पैसे दे देते हैं.
 

Basmati Rice Price: बासमती चावल दूसरे सामान्य चावलों से काफी महंगे होते हैं. कभी सोचा है कि इनमें ऐसा क्या खास है कि लोग एक किलो चाव के इतने ज्यादा पैसे दे देते हैं.

Basmati Rice: जब भी आप बाजार में चावल खरीदने जाते हैं तो आपको दुकान पर कई तरह के चावल दिखते होंगे. चावल की कई किस्मों में लोगों की सबसे ज्यादा डिमांड बासमती चावल की होती है, और खास बात ये है कि ये बासमती चावल दूसरे चावलों से महंगे भी होते हैं. इसके बाद भी लोग बासमती चावल खरीदना पसंद करते हैं.

ऐसे में सवाल है कि आखिर बासमती चावल में ऐसा क्या होता है कि ये काफी महंगे होते हैं. दरअसल, ये चावल ना सिर्फ खिले खिले बनते हैं बल्कि इसकी कई ऐसी खास बातें, जो इन्हें खास बनाते हैं.

ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आखिर बासमती चावल में क्या होता है, जो इन्हें खास बनाता है और किस वजह से बाजार में इनके रेट काफी ज्यादा होते हैं. साथ ही आपको बताएंगे कि इने खेती भी आम चावलों से किस तरह अलग होती है.

आकार का फर्क?

जब भी अच्छे और बुरे चावल की बात होती है, सबसे पहले चावल की साइज देखी जाती है. जो चावल लंबाई में बड़ा होता है, उसके ज्यादा भाव होते हैं और उसे बेहतर माना जाता है. वहीं, बासमती चावल की खास बात ये है कि इसका दाना काफी बड़ा होता है, जिस वजह से इसकी कीमत ज्यादा होती है. इसका साइज इतना बड़ा होता है कि कुछ किस्म में तो दानें 8 mm से ज्यादा का हो सकता है. इसलिए, ये चावल काफी महंगा बिकता है.

बासमती चावल की होती है एजिंग

बासमती चावल की एक और खास बात ये है कि इसकी लंबे समय तक एजिंग की जाती है, जिससे इसका टेक्सचर सही रहता है. चावल देखने में जो ज्यादा अच्छा लगता है, वो चावल की एजिंग की वजह से होती है. कई किस्मों के चावल को तो 18 से 24 महीने तक रखा जाता है. इस प्रोसेस की वजह से भी चावल की लागत बढ़ जाती है और चावल महंगा बिकता है.

कई वैज्ञानिक कारण भी हैं

इसके साथ ही बासमती चावल में कुछ ऐसे तत्व हैं, जो इसे खास बनाते हैं. दरअसल, बासमती चावल में एक्टाइल ई प्योरोलाइन नाम का कंपाउंड होता है, जिस वजह से ये शरीर के लिए भी अधिक उपयुक्त होता है. इसमें ग्लाइसेमिक लेवल काफी कम होता है और जिन लोगों को कैलोरी देखकर खाना अच्छा लगता है, उनके लिए भी ये चावल सही है, क्योंकि इसमें कम कैलोरी होती है.

खेती की प्रक्रिया है अलग

जब भी बासमती चावल की खेती होती है, यह बीज बोने के लगभग 140 दिन बाद पकता है. इसकी औसत उपज 12.6 क्विंटल धान प्रति एकड़ है. इसके साथ ही इस पौध को तैयार करने और फसल को तैयार करने में काफी मुश्किलें होती हैं. इस मुश्किल प्रक्रिया की वजह से ही इसकी लागत ज्यादा होती है.

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