राजस्थान चुनाव में जाटों ने किस राजनैतिक पार्टी का समर्थन किया, यहां देखें आंकड़े
Saral Kisan : राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाट समाज से कांग्रेस ने 36 और बीजेपी ने 31 टिकट दिए थे। इनमें कांग्रेस के 16 और बीजेपी के 13 जाट प्रत्याशी चुनाव जीतकर आए है। जाट समाज कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। बीजेपी कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध नहीं लगा पाई है। जाटलैंड शेखावटी में कांग्रेस का जलवा बरकार रहा। हालांकि, पिछली बार की तुलना में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। सीकर, चूरू और झुंझुनूं से कांग्रेस को सफलता मिली है।
कांग्रेस के जाट विधायक
तारानगर- नरेंद्र बुडानिया, लक्ष्मणगढ़ - गोविंद सिंह डोटासरा, किशनगढ़- विकास चौधरी, नागौर - हरेंद्र मिर्धा, बायतू- हरीश चौधरी, नोखा- सुशीला डूडी, रतनगढ़- पुसाराम गोदारा, झुंझुनूं- ब्रजेंद्र ओला, मांडावा- रीटा चौधरी, फुलेरा- विद्याधर सिंह, किशनगढ़ बास - दीपचंद खैरिया, लाडनू - मुकेश भाकर, परबतसर- रामनिवास गावड़िया, सूरजगढ़- श्रवण चौधरी, दातारामगढ़- वीरेंद्र सिंह, चौमू- शिखा मील बराला,
बीजेपी के जाट विधायक
भादरा- संजीव कुमार बेनीवाल, लूणकरणसर- सुमितगोदारा, चूरु- हरलाल सहारण,नदबई- जगत सिंह, नसीराबाद- रामस्वरूप लाम्बा और खंडेला से सुभाष मील, मालपुरा- कन्हैया लाल चौधरी, श्रीमाधोपुर- झाबर सिंह खर्रा, विराटनगर- कुलदीप धनकड़, डीग कुम्हेर- शैलेश दिगम्बर सिंह, डेगाना- अजय सिंह कीलक, नांवा- विजय सिंह चौधरी,ओसिया- भैराराम चौधरी सियोल। जबकि आरएलपी पार्टी से जाट विधायक हनुमान बेनीवाल और निर्दलीय जाट विधायक बाड़मेर- प्रियंका चौधरी।
जेजेपी के चक्कर में नहीं पड़े
हरियाणा की भाजपा सरकार में भागीदार जननायक जनता पार्टी का राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रयोग उस पर भारी पड़ गया है। भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन नहीं होने पर जजपा ने हरियाणा से सटी राजस्थान की 19 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी सीट पर उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी है। जेजेपी को इसके चलते हार का सामना करना पड़ा।
ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश के अयोध्या से दिल्ली तक लगेंगे अब सिर्फ 75 मिनट, जनता की हुई मौज