हरियाणा के 19 जिलों में पानी की बढ़ती हुई कमी, आने वाले समय में आ सकती है बड़ी परेशानी

जलवायु परिवर्तन के बीच हरियाणा के 19 जिलों में भूजल तेजी से घट रहा है. जिसके चलते इन जिलों के 88 ब्लॉकों को पानी के ज्यादा दोहन की श्रेणी में रखा गया है. 11 ब्लॉक क्रिटिकल श्रेणी में और 9 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में है.
 

Haryana Ground Water : भारत समेत दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है. जिसका असर धरती पर होने वाली प्राकृतिक गतिविधियों पर देखने को मिल रहा है. क्लाइमेट चेंज के चलते मौसमी सिस्टम में खूब बदलाव देखने को मिल रहा है. जैसा कि गर्मियों के दौरान तापमान का 45 डिग्री के आसपास पहुंच जाना और सर्दियों के दौरान पारा 0 तक पहुंचाना.

हर साल घटती हुई बारिश और मानसून में देरी के कारण यह सब जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है. इसी के चलते देश के ज्यादातर हिस्सों में पानी की किल्लत देखने को मिल रही है. परंतु पानी की कमी होने का कारण बारिश ही नहीं बल्कि पानी फिजूल में बर्बादी भी एक वजह है. 

जलवायु परिवर्तन के बीच हरियाणा के 19 जिलों में भूजल तेजी से घट रहा है. जिसके चलते इन जिलों के 88 ब्लॉकों को पानी के ज्यादा दोहन की श्रेणी में रखा गया है. 11 ब्लॉक क्रिटिकल श्रेणी में और 9 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में है. केवल 35 ब्लॉक सुरक्षित श्रेणी में है.

अधिकारियों का कहना है कि, भूमि से 70% तक जल निकासी सुरक्षित मानी जाती है. परंतु अगर यह 70 से 90% के बीच निकासी हो तो सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में होती है. अगर 90 से 100% के बीच में पानी की निकासी हो तो यह क्रिटिकल श्रेणी में आती है.

हरियाणा के 19 जिले शामिल

पानी का ज्यादा दोहन करने के मामले में हरियाणा के 19 जिले शामिल है. जिसमें कुरुक्षेत्र, कैथल, हिसार, मेवात, सिरसा, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, सोनीपत, गुरुग्राम, यमुनानगर, जींद, फरीदाबाद, भिवानी, अंबाला, चरखी दादरी इत्यादि आते हैं. इनमें से हिसार और मेवात में भूजल के सबसे कम पानी का दोहन किया जाता है. 

कम पानी वाली फसलों की बुवाई

हरियाणा के इन जिलों में लगातार घटते हुए भूमि के जल स्थिति गंभीर बनी हुई. वहीं, यह आने वाले समय में और भी गंभीर होती जा रही है. इसके लिए प्रदेश सरकार कई तरह के उचित कदम उठा रही है. और किसानों को कम पानी वाली फसलों की बुवाई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.