उत्तर प्रदेश में हाईटेक बनाई जाएगी 28 शहरों की सड़कें, हादसों के आंकड़ों में आएगी गिरावट

UP News : उत्तर प्रदेश की 28 शहरों की सड़कों को अब चकाचक किया जाएगा। उत्तर प्रदेश की 28 शहरों की उन सड़कों की पहचान की गई जहा सबसे ज्यादा दुर्घटना होती है। 

 

Uttar Pradseh News : उत्तर प्रदेश के 28 शहरों की मुख्य सड़कों को पहचान कर उनको सेफ बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश में यह वह सड़के हैं जिन पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। प्रदेश में सरकार सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कड़े कदम उठा रही है। यूपी की इन दुर्घटनाओं वाली सड़कों के 50 हिस्सों की पहचान कर ली गई हैं। 

इन्हें सड़कों पर रोड इंजीनियर की जो भी खामियां है उनको दूर किया जाएगा। इस प्रयास से सड़क दुर्घटनाओं में 40% तक की कमी आएगी। प्रदेश में परिवहन मंत्रालय की तरफ से इस पर काम करना भी शुरू कर दिया गया है। 

28 शहरों की खूनी सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए बड़ी तैयारी

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 28 शहरों की खूनी सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए बड़ी तैयारी करने जा रही है। यह उत्तर प्रदेश की वो सड़के हैं जिन पर आए दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं। उत्तर प्रदेश में इन सड़कों पर हादसों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बड़ी पहल शुरू की है। इससे पहले के तहत 50 खतरनाक सड़कों की कमियां दूर करके सुरक्षित बनाया जाएगा। इस प्रयास के बाद 40% तक रोड एक्सीडेंट में कमी आएगी।

आमने-सामने होती हैं वाहनों की टक्कर

यूपी में 28 शहर की सड़कों को दुर्घटना बाहुल्य के रूप में घोषित किया गया हैं। इन शहरों की सड़कों के 50 हिस्से में अधिकतम सड़क एक्सीडेंट्स हैं। लखीमपुर-खीरी राजमार्ग पर डिवाइडर नहीं होने के कारण यहां वाहनों की आमने-सामने टक्कर होती है। अप्रैल में ऐसे हादसों में करीब सौ लोग मारे गए। बिजनौर से धामपुर और मेरठ तक चलने वाली मार्ग पर भी डिवाइडर नहीं हैं। यही कारण है कि यहां दुर्घटनाएं होती हैं और तेज धूप से भी कई हादसे होते हैं। जिन सड़कों को खतरनाक बताया गया है वहां की सड़क इंजीनियरिंग की कमियां दूर की जाएंगी। इससे यहां होने वाले एक्सीडेंट्स को लगभग 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा।

एडीजी यातायात इस योजना पर देखरेख करेगा। यह योजना आईआईटी रुड़की, सेव लाइफ फाउंडेशन, एसयूएल प्राइवेट लिमिटेड और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के रोड सेफ्टी एडवाइजर अखिलेश श्रीवास्तव की मदद से बनाई जा रही है। इस तरह, नागपुर में रोड एक्सीडेंट्स को 85% तक कम करने में सफलता मिली है।