उत्तर प्रदेश में रासायनिक उर्वरक की खपत पर लगाम लगाएगी सरकार, आने वाले तीन वर्षों में इतना टारगेट

UP News :भारतीय कृषि क्षेत्र में, रसायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो सके। इस लक्ष्य के साथ पीएम प्रणाम योजना के तहत देशभर में इसका अनुसरण किया जा रहा है, और उत्तर प्रदेश में इसका अभियान मिशन मोड में चलाया जा रहा है।
 

UP News : भारतीय कृषि क्षेत्र में, रसायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो सके। इस लक्ष्य के साथ पीएम प्रणाम योजना (प्रमोशन आफ अल्टरनेटिव न्यूट्रिएंट्स फॉर एग्रीकल्चर मैनेजमेंट) के तहत देशभर में इसका अनुसरण किया जा रहा है, और उत्तर प्रदेश में इसका अभियान मिशन मोड में चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत, अगले तीन वर्षों में प्रदेश में होने वाली रासायनिक उर्वरक की खपत में 2.6 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

यूपी में, प्रति वर्ष करीब 1.5 करोड़ टन रासायनिक उर्वरक का प्रयोग होता है। पीएम प्रणाम योजना के अंतर्गत उपयोग की तैयारी कृषि विभाग ने शुरू कर दी है, और इसकी विस्तृत रूपरेखा जिलों को जल्द ही भेजी जाएगी।

रासायनिक उर्वरक और तत्वों के अधिक प्रयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, जो मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रहा है, इसके बारे में उन्होंने बताया। हम इस तथ्य को ध्यान में रखकर एक कार्य योजना तैयार करने की योजना बना रहे हैं।

39 जिलों में उर्वरक का अधिक प्रयोग हो रहा है

उन्होंने बताया कि हाल के अध्ययन से पता चला कि राज्य के 39 जिलों में उर्वरक का अधिक प्रयोग हो रहा है, जिसका सीधा परिणाम है कि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ रहा है। पीएम प्रणाम योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरक के प्रयोग को धीरे-धीरे कम करना है। उन धनराशि का उपयोग किसानों के हित में होगा जो बचेगी।

विकल्प के रूप में, "नैनो यूरिया" और "नैनो डीएपी" का अधिक प्रयोग किया जाएगा। अनिल पाठक ने बताया कि "नैनो यूरिया" या "नैनो डीएपी" की एक बोतल की क्षमता 50 किग्रा रासायनिक उर्वरक के बराबर होती है, जो 500 मिली की होती है।

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