UP Railway:लखनऊ रेलवे ने 40 वर्ष पुरानी सिग्नलिंग व्यवस्था में किया बदलाव करने का निर्णय, जाने वजह

चारबाग रेलवे स्टेशन पर (railway station)  40 साल पुराने सिग्नलिंग सिस्टम को नया रूप मिलेगा। पुराने जर्जर सिग्नलिंग तारों को चूहे कभी कभार क्षतिग्रस्त कर देते हैं। इन तारों की लम्बाई ढाई सौ किमी के आसपास होगी, जिन्हें बदल दिया जाएगा।
 

Saral Kisan : चारबाग रेलवे स्टेशन पर (railway station)  40 साल पुराने सिग्नलिंग सिस्टम को नया रूप मिलेगा। पुराने जर्जर सिग्नलिंग तारों को चूहे कभी कभार क्षतिग्रस्त कर देते हैं। इन तारों की लम्बाई ढाई सौ किमी के आसपास होगी, जिन्हें बदल दिया जाएगा। रूट रिले इंटरलॉकिंग की नई बिल्डिंग तैयार है, जहां पैनल वगैरह जल्द शिफ्ट किए जाएंगे।

उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के चारबाग रेलवे स्टेशन  (railway station)  पर सिग्नलिंग सिस्टम 40 साल पुराना है। ऐसे में प्लेटफॉर्म नंबर एक पर बने रिले रूम के पैनलों में आग तक लग चुकी है। इतना ही नहीं रूट रिले इंटरलॉकिंग (RRI) के जो तार स्टेशन पर बिछे हुए हैं, उन्हें चूहे भी क्षतिग्रस्त कर देते हैं, जिससे ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता है।

ऐसे में रेलवे प्रशासन की ओर से आरआरआई को बदलने की योजना बनाई गई और पहले चरण में 35 करोड़ रुपये जारी किए गए। लॉकडाउन के दौरान आरआरआई (RRI) का काम शुरू किया गया। जो काफी तेजी से हुआ। आरआरआई (RRI) की नई बिल्डिंग स्टेशन पर बने पुराने मालगोदामों की ओर बनाई गई। जिसकी फिनिशिंग का काम बाकी है। पर, इसी बीच चारबाग स्टेशन पर सेकेंड एंट्री की ओर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया, जिससे आरआरआई का काम सुस्त हो गया। पर, रेलवे प्रशासन अब इस काम को गति देगा, जिससे सिग्नलिंग सिस्टम अत्याधुनिक हो जाएगा।

आउटर पर नहीं रुकेंगी ट्रेनें

रेलवे अफसर बताते हैं कि आरआरआई (RRI) का काम पूरा होने के बाद जिन ट्रेनों को सिग्नलिंग के इंतजार में दिलकुशा व आलमनगर आउटर पर रोकना पड़ता है, उससे निजात मिल जाएगी, जिससे पैसेंजरों का समय व रेलवे का ईंधन बचेगा। इतना ही नहीं बेहतर सिग्नलिंग होने पर चूहों द्वारा कुतरे जाने की आशंका घट जाएगी और ट्रेनों का संचालन भी बाधित नहीं होगा।

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