UP : यूपी वालों को अब नहीं होगी बिजली की कोई समस्या, हाईवे से आते-जाते वाहनों के वजन से बनेगी अब Electricity

रुहेलखंड यूनिवर्सिटी बरेली के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अतुल सरोजवाल एक ट्रिपल ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट पर कार्यरत हैं। प्रोजेक्ट के माध्यम से  सड़कों पर चलने वाले वाहनों के वजन से बिजली बनाई जाएगी।
 

Saral Kisan - रुहेलखंड यूनिवर्सिटी बरेली के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अतुल सरोजवाल एक ट्रिपल ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट पर कार्यरत हैं। प्रोजेक्ट के माध्यम से  सड़कों पर चलने वाले वाहनों के वजन से बिजली बनाई जाएगी। साथ ही सोलर पैनल और टरबाइन भी बिजली पैदा करेंगे। इनसे सड़क किनारे की लाइट जल सकती है।

डॉ. अतुल सरोजवाल की परियोजना से बिजली पिजियो इलेक्ट्रिक क्रिस्टल, सोलर पैनल और विंड टरबाइन से बनाई जाएगी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलीफोर्निया और इजरायल पिजियो इलेक्ट्रिक क्रिस्टल ने गाड़ी के वजन से पहले बिजली बनाई है। तकनीक में पिजियो इलेक्ट्रिक क्रिस्टल सड़क से पांच सेंटीमीटर नीचे लगाए जाते हैं। क्रिस्टल को एक किलोमीटर तक सड़क पर लगाने से करीब 400 किलोवाट बिजली बनाई जाती है। बिजली को वहाँ से कनेक्शन देकर आउटर सर्किट में लोड लगाया जाता है।

लागत कम करने का प्रयास

एक किमी पिजियो इलेक्ट्रिक क्रिस्टल सड़क बनाने में लगभग 70 लाख रुपये खर्च होते हैं। इससे जुड़े काम असम और मध्य प्रदेश में किए गए हैं। अधिक खर्च करने से यह बड़ा नहीं हुआ। नई दिल्ली स्थित साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड को परियोजना को पूरा करने के लिए लगभग 40 लाख का प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

80 प्रतिशत खपत कम होगी

Dr. Atul ने सोलर पैनल और विंड टरबाइन का भी उपयोग किया है, जो अधिक हरित ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। यह समान पोल पर रहेंगे। विंड टरबाइन वाहनों के गुजरने पर हवा के तेज झोंकों से चलेगा। धुप सोलर एनर्जी बनाएगी। तीन अलग-अलग प्रकार की ग्रीन एनर्जी का उत्पादन होने से ग्रिड से आने वाली बिजली की खपत 60 से लेकर 80 प्रतिशत कम हो जाएगी।

लाइट जलेगी जब वाहन सड़क पर गुजरेंगे - 

योजना ऐसे डिजाइन की गई है कि वाहनों के गुजरने पर लाइट स्वचालित रूप से जलेगी। लाइट जब वाहन नहीं गुजरेगा तो बंद रहेंगी। रिसर्च स्कॉलर आकृति गर्ग और इंजीनियरिंग के रोहित पांडे, शुभी अग्रवाल, चैतन्य और तान्या अवस्थी इस काम को पूरा करने में सहभागी हैं।