UP News: इस प्रयोग से तीन गुणा बढ़ी किसानों की कमाई, धान के साथ यह पालकर बने मालामाल

गोरखपुर में डीएम की पहल पर 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले भटहट क्षेत्र के खेत में एकीकृत धान और मछली पालन प्रणाली लागू की गई। धान की उपज बढ़ी, लागत कम हुई और किसानों को मछली बेचकर अतिरिक्त पैसा मिला। योजना को इस सफलता के बाद पूरे जिले में लागू करने की तैयारी है। अगली बार 2000 हेक्टेयर में इस्तेमाल किया जाएगा।
 

Saral Kisan : कृषि विभाग के साथ मिलकर जिला प्रशासन ने किसानों की आय दोगुनी करने के अभियान में एक प्रयोग शुरू किया है। किसानों की आय इससे लगभग तीन गुणा बढ़ी है। यह "एकीकृत धान सह मछली पालन" कहलाता है। यह 50 हेक्टेयर भटहट क्षेत्र में प्रयोग किया गया, जहां नवंबर तक पानी भरा रहेगा। धान के साथ मछली भी डाली गई। इससे धान की पैदावार तो बढ़ी ही, मछली का उत्पादन भी बढ़ा। अच्छी बात यह रही कि मछली डालने के लिए किसानों को कीटनाशक नहीं चाहिए था।

जिले में लगभग एक लाख 57 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती की जाती है। खेती के दौरान लगभग पचास हजार क्षेत्रफल पानी से भर जाता है। जुलाई से सितंबर तक अधिकतर खेतों में 15–30 सेमी तक पानी रहता है। नवंबर तक कुछ क्षेत्रों में यह स्थिति जारी रहेगी। ऐसे हालात में, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने इस नवाचार का उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना था। मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीना और उप निदेशक कृषि अरविंद कुमार सिंह को इसका कार्यभार सौंपा गया है। 50 हेक्टेयर भटहट क्षेत्र के अमवा में पानी भरा हुआ क्षेत्र चुना गया। जुलाई में उनके खेतों में मछली का बीज लगाया गया था।

सोमवार को मंडलायुक्त अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश, सीडीओ संजय कुमार मीना और उप निदेशक कृषि अरविंद सिंह ने भटहट के अमवा गांव में उत्पादन की जांच की। उन्होंने कृषकों से भी बात की। प्रयोग को किसान इजहार अली, अशोक सिंह उर्फ पिंटू, महेंद्र सिंह, हेमंत सिंह और दिलीप तिवारी ने सफल बताया। भविष्य के लिए कृषि विभाग की प्राविधिक सहायक नेहा पटेल को ब्रांड अंबेसडर बनाया गया है।

एक हेक्टेयर खेत में धान की फसल के लिए जोताई, नर्सरी की तैयारी, बीज, लेवा लगाने, कीटनाशक, आदि के लिए 42 हजार से अधिक की लागत लगती है, जिससे आय बढ़ती है। लगभग 45 क्विंटल उपज प्राप्त होती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार, किसानों को उपज से 98 हजार रुपये से अधिक मिलते हैं। इस प्रकार लगभग 56 हजार रुपये का लाभ मिलता है।

कीटनाशक को पहली बार नहीं प्रयोग किया गया था। धान की उपज लगभग 50 क्विंटल मिली और प्रति हेक्टेयर 41 हजार रुपये मछली के बीज के साथ खर्च हुआ। 750 किग्रा मछली उत्पादित हुई थी। दोनों ने कुल मिलाकर 1 लाख 84 हजार रुपये की कमाई की। शुद्ध लाभ, लागत घटाकर लगभग एक लाख 56 हजार रुपये प्राप्त हुआ।

अधिकारी की प्रतिक्रिया क्या है?

जिले में पचास हजार हेक्टेयर से अधिक खेत नवंबर तक पानी से भर जाएंगे। ऐसे खेतों में धान के साथ मछली की खेती की गई। इस्तेमाल सफल रहा है। किसानों की आय लगभग तीन गुणा वृद्धि हुई है। 2000 हेक्टेयर में अब इसे लागू किया जाएगा। 100 हेक्टेयर धान के खेत में हर ब्लाक में मछली का उत्पादन किया जाएगा। —कृष्णा करुणेश, जिला प्रमुख

ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश के ये 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले 19 शहर होंगे विकसित, मिलेगी हर सुविधाएं