UP : अगर अब एक्सप्रेस वे पर तोड़ा नियम तो अलर्ट के बाद गाड़ी हो जाएगी लॉक, नींद में भी सड़के देगी झटके

UP: सेंसर आधारित मानीटरिंग सिस्टम पहली बार एक्सप्रेस वे और हाइवे पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए बनाया जा रहा है। ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड और लेन उल्लंघन पर स्वचालित अलर्ट के बाद पेनाल्टी मिलेगी।
 

Saral Kisan : सेंसर आधारित मानीटरिंग सिस्टम पहली बार एक्सप्रेस वे और हाइवे पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए बनाया जा रहा है। ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड और लेन उल्लंघन पर स्वचालित अलर्ट के बाद पेनाल्टी मिलेगी। तीन अलर्ट मिलेंगे जब कार दायीं लेन नहीं छोड़ेगी और कार लॉक हो जाएगी। यूपीडा और फिक्की के सड़क निर्माण टेक्नोलाजी से जुड़े सेमिनार में, आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बृंद कुमार ने ये जानकारी दी।

उनका कहना था कि देश में पहली बार राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस वे की निगरानी स्वदेशी सेंसर आधारित मानीटरिंग सिस्टम से की जाएगी। इससे ओवरस्पीड, ओवरलोड और दायीं लेन के नियमों को तोड़ने वाली गाड़ियों को पता चलेगा। वाहन एप पूरा रिकॉर्ड देगा। गाड़ी मालिक को अलर्ट मिलेगा। साथ ही ड्राइवर को मास्टर कंट्रोल कार सिस्टम से अलर्ट मिलेगा। सिस्टम दांयी लेन से हटने के लिए पांच किलोमीटर तक चेक करेगा। सिस्टम छठे किलोमीटर से गाड़ी की निगरानी शुरू कर देगा। दस किलोमीटर तक चेतावनी दिखाई देगी। फिर भी, गाड़ी दो किलोमीटर तक नहीं मानने पर "आटो मोड" पर चली जाएगी। अपने आप ब्रेक लगेंगे। गाड़ी धीरे-धीरे किनारे पर आ जाएगी और इनफोर्समेंट आकर सीज करेगा।

हादसे नहीं रोके तो विकास

प्रोफेसर कुमार ने कहा कि हाईवे और एक्सप्रेसवे बढ़ने के साथ-साथ दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इन्हें नहीं रोका जाएगा तो विकास प्रभावित होगा। ड्राइवरों की लाइसेंसिंग प्रक्रिया सबसे आम है। कामकाज का दबाव भी कारण है। ओवरस्पीड और ट्रैफिक सेंस की कमी भी एक महत्वपूर्ण वजह है। नियमों को तोड़ना एक शगल बन गया है। कई शहरों में ट्रैफिक नियंत्रण तंत्र हैं, लेकिन वे पूरी तरह से काम नहीं करते। ऐसे लोगों को चेतावनी दी जानी चाहिए।

थर्मोप्लास्टिक सड़क लंबी दूरी पर ड्राइवर को जगाती रहेगी

उनका कहना था कि लंबी दूरी पर लगातार ड्राइव करने से दिमाग और आंखें दोनों मान लेते हैं कि सब ठीक है। शरीर का नर्वस सिस्टम रिलेक्स मोड में है।इसके अलावा, खुली आंखें होने पर मस्तिष्क भी "नींद मोड" में आ जाता है। ड्राइवर को इस स्थिति से जगाने के लिए थर्मो प्लास्टिक पेंट का उपयोग किया जा रहा है। वाहन आते ही इस पर झटके देता है। यह प्रत्येक 20 किलोमीटर पर लगाया जाना चाहिए। साथ ही, एक्सप्रेस व पर हल्का टर्न दिया जाता है ताकि मस्तिष्क गाड़ी के टर्न के साथ जागृत रहे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर ऐसे रेज हैं। ड्राइवर को नींद आते ही कड़कड़ाने की आवाज आने लगती है।

क्रैश बैरियर दुर्घटना भयावहता कम करेंगे

यूपीडा के प्रमुख इंजीनियर श्रीराज ने बताया कि एक्सप्रेस वे को एटीएमएस (आटोमेटिक ट्रांसमिशन मैनेजमेंट सिस्टम) से लैस किया जा रहा है। सभी को टेंडर मिल रहे हैं। क्रैश बैरियर पर टक्कर लगने से गाड़ी वहीं रुक जाएगी और हादसे का भय कम हो जाएगा। बैरियर उसकी स्पीड को ‘एब्सार्ब’ करेंगे। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को हर हाल में 12 हफ्ते के अंदर दुरुस्त कर दिया जाएगा। सारी कमियां दूर होंगी। क्योंकि उनके पास पहले ही पांच साल के मेंटीनेंस का जिम्मा है, किसी भी कांट्रैक्टर को अतिरिक्त धनराशि नहीं दी गई है।

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