Toll Tax : अब हाईवे-एक्सप्रेसवे टोल टैक्स की नई प्रणाली होगी शुरू, महंगे टोल से मिलेगा छुटकारा

Toll Tax : वाहन चालकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना वास्तव में, आपको बता दें कि वाहन चालकों को महंगे टोल से आसानी से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, सरकार फास्टैग (FASTag) प्रणाली को समाप्त करके टोल वसूली के लिए एक नया प्रणाली शुरू करने की तैयारी कर रही है। इस अपडेट के बारे में अधिक जानकारी के लिए खबर को पूरा पढ़ें।  
 

Saral Kisan : टोल टैक्स में अप्रैल से बढ़ोतरी से प्रभावित वाहन चालकों को जल्दी ही महंगे टोल से छुटकारा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। सरकार फास्टैग (FASTag) सिस्टम को समाप्त करके टोल वसूली के लिए एक नया प्रणाली शुरू करने जा रही है। इसके तहत, आपको नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर जितने किलोमीटर चलेगी उतने का टोल देना होगा। इसी प्रकार की व्यवस्था जर्मनी और रूस जैसे यूरोपीय देशों में टोल वसूल रही है। भारत भी इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर रहा है क्योंकि यह इन देशों में काफी सफल रहा है।

वाहनों में लगेगा सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम -

अभी एक टोल से दूसरे टोल तक की दूरी की पूरी राशि वाहनों से वसूली जाती है. भले ही आप वहां तक न भी जा रहे हों और बीच में ही कहीं आपकी यात्रा पूरी हो जा रही हो, लेकिन टोल पूरा देना होता है. अब केंद्र सरकार टोल टैक्स की वसूली सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम से करने जा रही है. इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. इस सिस्टम में हाईवे पर जितने किलोमीटर गाड़ी चलती है, उसी हिसाब से टोल देना होता है.

ऐसे होगी टोल की वसूली -

जर्मनी में करीब-करीब सभी वाहनों (98.8 फीसदी) में सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा दिया गया है. टोल वाले सड़क पर जैसे ही वाहन प्रवेश करता है, टैक्स की गणना शुरू हो जाती है. जैसे ही वाहन हाईवे से बिना टोल वाले सड़क पर जाता है, उतने किलोमीटर का टोल खाते से कट जाता है. टोल कटने का सिस्टम वैसा ही है, जैसा फास्टैग का है. भारत में फिलहाल 97 फीसदी वाहनों से फास्टैग से टोल वसूला जाने लगा है. जर्मनी और रूस जैसे यूरोपीय देशों में इसी व्यवस्था के जरिए टोल की वसूली हो रही है. इन देशों में इस व्यवस्था के काफी सफल रहने से भारत में भी इसे लागू करने की तैयारी हो रही है.

वाहनों में लगेगा सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम -

अभी एक टोल से दूसरे टोल तक की दूरी की पूरी राशि वाहनों से वसूली जाती है. भले ही आप वहां तक न भी जा रहे हों और बीच में ही कहीं आपकी यात्रा पूरी हो जा रही हो, लेकिन टोल पूरा देना होता है. अब केंद्र सरकार टोल टैक्स की वसूली सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम से करने जा रही है. इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है. इस सिस्टम में हाईवे पर जितने किलोमीटर गाड़ी चलती है, उसी हिसाब से टोल देना होता है.

ऐसे होगी टोल की वसूली -

जर्मनी में करीब-करीब सभी वाहनों (98.8 फीसदी) में सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा दिया गया है. टोल वाले सड़क पर जैसे ही वाहन प्रवेश करता है, टैक्स की गणना शुरू हो जाती है. जैसे ही वाहन हाईवे से बिना टोल वाले सड़क पर जाता है, उतने किलोमीटर का टोल खाते से कट जाता है. टोल कटने का सिस्टम वैसा ही है, जैसा फास्टैग का है. भारत में फिलहाल 97 फीसदी वाहनों से फास्टैग से टोल वसूला जाने लगा है.

नई व्यवस्था को लागू करने से पहले परिवहन नीति में भी बदलाव करना जरूरी है. विशेषज्ञ इसके लिए जरूरी पॉइंट्स तैयार कर रहे हैं. पायलट प्रोजेक्ट में पूरे देश में 1.37 लाख वाहनों को शामिल किया गया है. रूस और दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों द्वारा एक स्टडी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. अगले कुछ हफ्तों में यह रिपोर्ट जारी हो सकती है.

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