Toll Tax : अब फास्टैग का झंझट होगा खत्म, हट जाएंगे सारे टोल प्लाजा

Toll Tax Update : अगले सप्ताह, नए टोल सिस्टम की टेस्टिंग के लिए कुछ गाड़ियों को ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ पेश करने की तैयारी चल रही है। OBD Unit, या ऑन बोर्ड यूनिट, एक ट्रैकर डिवाइस की तरह काम करता है जो सैटेलाइट तक आपकी गाड़ी का सिग्नल भेजता है। नया टोल सिस्टम शुरू होने के बाद, वर्तमान आरएफआईडी आधारित फास्टैग टोल संकलन तंत्र पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
 

New Toll Collection System  : टोल प्लाजा पर घंटों इंतजार करने वालों में लगभग हर कोई शामिल है। वह खुद गाड़ी चलाता है या किसी और के साथ ट्रेवल करता है। यह लगभग सभी ने देखा है। लेकिन अब इस समस्या को टाटा बाय-आय करना चाहिए। क्योंकि भारत में जल्द ही नए टोल सिस्टम की शुरूआत होने वाली है, जिससे टोल गेट और अन्य प्रकार के टोल टैक्स पूरी तरह से हट जाएंगे। इस नए सिस्टम से, टोल प्लाजा पर कतार में लगने की समस्या नहीं होगी; सैटेलाइट की रेंज में आने से टोल स्वयं भुगतान हो जाएगा।

अगले सप्ताह, नए टोल सिस्टम की टेस्टिंग के लिए कुछ गाड़ियों को ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ पेश करने की तैयारी चल रही है। OBD Unit, या ऑन बोर्ड यूनिट, एक ट्रैकर डिवाइस की तरह काम करता है जो सैटेलाइट तक आपकी गाड़ी का सिग्नल भेजता है। नया टोल सिस्टम शुरू होने के बाद, वर्तमान आरएफआईडी आधारित फास्टैग टोल संकलन तंत्र पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

GPS बेस्ड टोल सिस्टम की खासियत

बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि ये नया सिस्टम कैसे काम करेगा। आपको बता दें कि नए सिस्टम में GPS होगा, इसलिए आपको पता चलेगा कि कौन सा वाहन कितनी दूरी तय कर रहा है। इससे स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस वाहन ने कितना ट्रेवल किया है। नए टोल सिस्टम की मुख्य विशेषता यह है कि वे गाड़ियों की आवाजाही की निगरानी करने के लिए GPS पर आधारित सैटेलाइट या कुछ सैटेलाइटों की मदद लेंगे। टोल या उपयोगकर्ता शुल्क यात्रा की सटीक दूरी पर निर्भर करेगा।

ध्यान दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनएच शुल्क नियमों में संशोधन किया है, जिसमें सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम का उपयोग किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नवीनतम टोल सिस्टम को लागू करने के लिए NavIC नामक भारतीय सैटेलाइट का उपयोग किया जाएगा। वर्तमान में नए टोल सिस्टम की जांच करने के लिए कुछ गाड़ी ऑन-बोर्ड यूनिट (OBD) के साथ चलती हैं, लेकिन आपको इसे कब तक लगाना चाहिए पता है।

ऑन-बोर्ड यूनिट लगवाना है, बेहद जरूरी

अब टोल टैक्स के लिए नया सिस्टम लागू होने से वाहनों को भी उसी तरह से बनाना होगा। सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम को काम करने के लिए गाड़ी में ऑन-बोर्ड उपकरण लगाना आवश्यक होगा। यही कारण है कि आने वाले कुछ सालों में नई गाड़ियां प्री-फिटेड ऑन-बोर्ड यूनिट के साथ आने लगेंगी। वहीं मौजूदा गाड़ी में बाहर से ऑन-बोर्ड यूनिट लगाया जा सकेगा। ऑन-बोर्ड यूनिट को फास्टैग की तरह जारी किया जाएगा और इशुइंग अथारिटी इसका काम करेगी।

ट्रकों में लगाए जाएंगे, OBU

पहले, सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के लिए ऑन-बोर्ड यूनिट को ट्रकों, बसों और खतरनाक सामान के जाने वाले वाहनों में लगाया जाएगा (GPS-आधारित टोल सिस्टम की जांच)। अगले कदम में विभिन्न कमर्शियल वाहनों को शामिल किया जाएगा। हालाँकि, 2026-27 में अंतिम चरण के तहत नए टोल सिस्टम में निजी वाहनों को शामिल किया जाएगा। ये नवीनतम टोल प्रणाली पूरी तरह से सिस्टेमैटिक तरीके से शुरू की जाएगी।

नया टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू होगा, अगले साल से

वाहनचालकों ने इस सिस्टम को जानने के बाद कब से नया टोल कलेक्शन सिस्टम लागू होगा? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जून 2025 तक 2,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम लागू होगा। 9 महीने में 10,000 किलोमीटर, 15 महीने में 25,000 किलोमीटर और 2 सालों में 50,000 किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

नया टोल प्रणाली काम कर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्गों की लगभग पूरी लंबाई की जियो-फेंसिंग केंद्र सरकार की राजमार्ग-स्वामित्व वाली एजेंसियों ने की है। टोल कैलकुलेशन के उद्देश्य से सटीक प्रवेश और निकास स्थानों को चिह्नित करने के लिए जियो-फेंसिंग आवश्यक है। ध्यान दें कि भारत में लगभग 1.4 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनमें से लगभग 45,000 किलोमीटर टोल पर चलते हैं। नया टोल कलेक्शन सिस्टम अगले वर्ष से टोल काटेगा।