इस तकनीक से बनेगी लोहे जैसी मजबूत सड़क, बनाने में कम होगा 30 प्रतिशत खर्च

नीति आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर वीके सारस्वत ने बताया कि अक्सर सड़के अधिक गर्मी और बारिश के कारण खराब हो जाती है। उन्होंने बताया कि सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बीते दिनों सड़क निर्माण में स्टील सलैग का इस्तेमाल किया था
 

Steel Road News : अक्सर देखने को मिलता है कि अधिक बारिश और भीषण गर्मी के कारण सड़क खराब हो जाती है। अब सरकार ऐसा प्लान लेकर आई है जिसमें सड़कों पर गर्मी और बारिश का कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ-साथ इस तकनीक पर लागत भी कम आएगी। एनएचएआई ने बताया कि अब वह सड़क निर्माण के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल करेगा।

नीति आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर वीके सारस्वत ने बताया कि अक्सर सड़के अधिक गर्मी और बारिश के कारण खराब हो जाती है। उन्होंने बताया कि सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बीते दिनों सड़क निर्माण में स्टील सलैग का इस्तेमाल किया था, जो काफी सफल रहा है। इसके बाद एनएचएआई ने इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रस्ताव भेजा है और बताओ स्वीकार कर लिया गया है। अब देश में इस तकनीक से सैकड़ो सड़कों का निर्माण किया जाएगा।

कौनसी सड़क पर हुआ प्रयोग

भारत की पहली स्टील स्लैग सड़क गुजरात के सूरत शहर के हजीरा में बनाई गई है। इस सड़क के निर्माण में प्रोसैस्ड स्टील स्लैग एएमएनएस के हजीरा प्लांट से लेकर प्रयोग किया गया था। इस तकनीक का इस्तेमाल पत्थर की गिट्टी से बनाई गई सड़क की तुलना में काफी अच्छा रहता है और लंबे समय तक चलता है।

मिलेंगे कई फायदे

इस तकनीक से बनाई जाने वाली सड़क के थिकनेस को 30% तक कम किया गया है। जिससे सड़क में लगने वाले मैटेरियल में भी 30% तक गिरावट आएगी। देश की सिटी इंडस्ट्री से आए साल करीबन 20 मिलियन टन स्टील स्लैग निकलता है और 2030 तक देश में 300 मिलियन टन स्टील का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। सामान्य रोड के मुकाबले स्टील स्लैग से बनी रोड काफी मजबूत होती है। सूरत में बनी रोड से रोजाना 18 से 20 टन वजनी 1000 से 1200 वाहन गुजरते हैं। लेकिन इसकी क्वालिटी पर कोई असर देखने को नहीं मिला।