कर्मचारियों के लिए इस राज्य सरकार ने शुरू की अवकाश योजना, नियम और नीति हुई तय

सिक्किम सरकार ने अपने नियमित सरकारी कर्मचारियों के लिए विश्राम अवकाश योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, सरकारी कर्मचारियों को उनके सेवा करियर के दौरान कम से कम 365 दिनों की अवधि तक विश्राम अवकाश प्राप्त करने का अधिकतम अवसर दिया जाएगा।
 

Saral Kisan : कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। उन्हें अब अधिकतम 3 साल की अवकाश मिलेगी, जिसकी व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की गई है। इस अवकाश योजना के अंतर्गत, नियम और नीतियाँ भी तय की गई हैं।

विश्राम अवकाश योजना की शुरुआत

सिक्किम सरकार ने अपने नियमित सरकारी कर्मचारियों के लिए विश्राम अवकाश योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, सरकारी कर्मचारियों को उनके सेवा करियर के दौरान कम से कम 365 दिनों की अवधि तक विश्राम अवकाश प्राप्त करने का अधिकतम अवसर दिया जाएगा, जिसे आवश्यकता अनुसार 1080 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। यह तय किया गया है कि कर्मचारियों को उनके सेवाकाल में कम से कम 6 महीने की सेवा पूरी करनी होगी ताकि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सके।

योजना का लाभ किसे मिलेगा

यह विश्राम अवकाश योजना नियमित सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी। वे कर्मचारी जिन्होंने कम से कम 6 महीने की सेवा पूरी की है, वे इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यदि कोई कर्मचारी विश्राम अवकाश का विकल्प चुनता है, तो उसे अपने अवकाश के लिए आवेदन करना होगा और उसके आवेदन की प्राधिकृति के बाद ही सरकार की मंजूरी दी जाएगी। उसके बाद आवकाश की कार्रवाई की जाएगी।

नीतियाँ और नियम

सरकार ने तय किया है कि यह योजना सिर्फ नियमित सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी, जो 2 साल की अवधि के बाद नियुक्त किए जाते हैं। उन कर्मचारियों को जिनकी नौकरी अस्थाई होती है, उन्हें यह लाभ नहीं मिलेगा। विश्राम अवकाश पर रहने वाले कर्मचारियों को उनके अवकाश के पहले मासिक वेतन या मासिक वेतन के 50% की दर से समेकित वेतन दिया जाएगा।

विश्राम अवकाश योजना के अंतर्गत, सरकारी कर्मचारियों को उनके कौशल विकास, शैक्षणिक योग्यता और कौशल के बढ़ाव, उद्देश्य निर्धारण, कलात्मक और साहित्यिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने, परिवारिक और सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने का अवसर दिया जाएगा।

हालांकि इस मामले में सिटीजन एक्शन पार्टी ने सरकारी कर्मचारियों के नियमितीकरण नीति की आवश्यकता के प्रति आपत्ति दर्शाई है। उनके अनुसार, सरकार को पहले ही नौकरियों के नियमितीकरण का प्रावधान करना चाहिए, ताकि सभी कर्मचारियों को समान अधिकार मिल सके।

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