उत्तर प्रदेश में 693 करोड़ रुपये में हाईटेक होगा ये रेलवे स्टेशन, आएगी एयरपोर्ट जैसी फिलिंग

UP Railway : यूपी के इस रेलवे स्टेशन को 693 करोड़ रुपये में हाईटेक किया जाएगा। आपको बता दें कि इस स्टेशन पर एयरपोर्ट वाली सारी सुविधाएं मिलेंगी. इसी कड़ी में गोरखपुर जंक्शन को भी पुनर्विकसित करके वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है।
 

Saral Kisan, UP Railway : भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है. एक तरफ भारतीय रेलवे ट्रेनों को सुरक्षित और समय बद्ध तरीके से चलाने के लिए तमाम आधुनिक तकनीकों को विकसित कर रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ यात्री सुविधाओं के मद्देनजर रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास भी किया जा रहा है.

इसी कड़ी में गोरखपुर जंक्शन को भी पुनर्विकसित करके वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है. गोरखपुर जंक्शन स्टेशन का नया डिजाइन अप्रूव एवं डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डी.पी.आर.) भी तैयार हो गई है. रेलवे के अधिकारियों के अनुसार,  इस स्टेशन के पुनर्विकास पर संशोधित लागत लगभग ₹ 693 करोड़ आएगी. गोरखपुर जं. स्टेशन का पुनर्विकास आगामी 50 साल को ध्यान में रखकर किया जाएगा. उस समय गोरखपुर जं. स्टेशन पर यात्री आवागमन लगभग 1,68,000 प्रति दिन होगा.

जानिए क्या हैं स्टेशन पुनर्विकास के प्रस्तावित मॉडल की प्रमुख विशेषताएं

गोरखपुर जं. स्टेशन के पुनर्विकास मॉडल में स्थानीय सांस्कृतिक विरासत एवं वास्तुकला को समाहित किया गया है. गोरखपुर जं. स्टेशन के डिजाइन में स्थानीय संस्कृति की झलक दिखाई देगी. वर्तमान में मुख्य स्टेशन भवन का निर्माण 5,855 वर्ग मीटर एवं द्वितीय प्रवेश द्वार का निर्माण 720 वर्ग मीटर में किया गया है. प्रस्तावित स्टेशन का निर्माण 17,900 वर्ग मीटर एवं द्वितीय प्रवेश द्वार का निर्माण 7,400 वर्ग मीटर में किया जाएगा.10,800 वर्ग मीटर में रूफ प्लाजा होगा जहां फूड आउटलेट, वेटिंग हॉल,  एटीएम एवं किड्स प्ले एरिया का प्रावधान किया जाएगा. रूफ प्लाजा से प्लेटफॉर्मों तथा प्रवेश एवं निकास द्वार को 44 लिफ्ट एवं 21 एस्केलेटर के माध्यम से कनेक्ट किया जाएगा. 300 वर्ग मीटर में टिकट खिड़कियां बनाई जाएंगी.

प्रतीक्षारत यात्रियों के लिए प्रस्तावित वेटिंग एरिया 6,300 वर्ग मीटर में बनाया जाएगा जहां, 3,500 व्यक्ति एक साथ बैठकर गाड़ियों की प्रतीक्षा कर सकते हैं. दो मल्टी परपज वाणिज्यिक टॉवर बनाए जाएंगे जिसमें मल्टी लेवल कार पार्किंग, बजट होटल, कामर्शियल शॉप इत्यादि का प्रावधान होगा. प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन एवं बस स्टेशन से स्काई वॉक-वे से लिंक किया जाएगा. कार, टू व्हीलर्स, थ्री व्हीलर्स की पार्किंग क्षमता 427 ई.सी.एस. है, जबकि प्रस्तावित पार्किंग क्षमता 838 ई.सी.एस. है. दोनों प्रवेश द्वार के सर्कुलेटिंग क्षेत्र में हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) विकसित की जाएगी. प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप कार्य के लिए डी.पी.आर. तैयार कर ली गई है. कार्य शुरू करने के लिए निविदा जारी किया जाएगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर ये स्टेशन जब पुनर्विकसित होगा तो यहां विकास और विरासत का एक अद्भुत संगम देखने को मिलेगा. साथ ही यहां आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं को एक वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन मिलेगा जो उनकी यात्रा को सुगम बनाएगा.

जानिए क्या है गोरखपुर जंक्शन का इतिहास?

पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर महान हिन्दू संन्यासी एवं महायोगी गुरू गोरक्षनाथ के मंदिर के लिए विख्यात है. 15 जनवरी, 1885 को सोनपुर से मनकापुर तक मीटर गेज रेल लाइन के निर्माण के साथ ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन अस्तित्व में आया. वर्ष 1886 में गोरखपुर से उस्का बाजार लाइन के निर्माण के साथ ही गोरखपुर जं. स्टेशन बना. वर्ष 1981 में छपरा से मल्हौर तक का आमान परिवर्तन पूर्ण हुआ और गोरखपुर जं. बड़ी लाइन के माध्यम से देश के अन्य महानगरों से जुड़ा.

साल 2004 में यहां दोहरीकरण का कार्य सम्पन्न हुआ. समय के साथ गोरखपुर जं. स्टेशन पर गाड़ियों एवं प्लेटफॉर्म की संख्या में वृद्धि हुई और स्टेशन के यार्ड रीमॉडलिंग का कार्य जरूरी हो गया जो 06 अक्टूबर, 2013 को पूरा हुआ.

गोरखपुर स्टेशन पर मौजूद है दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफार्म

गोरखपुर जं. स्टेशन का प्लेटफॉर्म विश्व का सबसे लम्बा प्लेटफॉर्म बना था. इस प्लेटफॉर्म की लम्बाई 1355.40 मीटर तथा रैम्प के साथ इसकी लम्बाई 1366.33 मीटर है. इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के विश्व रिकॉर्ड में स्थान मिला था.अगर इस स्टेशन के कुल प्लेटफार्म्स की बात करें तो गोरखपुर जं. स्टेशन पर कुल 10 प्लेटफॉर्म हैं. यह स्टेशन गोरखपुर जनपद की लगभग 44.5 लाख की आबादी सहित निकटवर्ती जनपदों एवं नेपाल क्षेत्र के लोगों को भी सेवाएं दे रहा है तथा प्रतिदिन लगभग 93,000 यात्रियों का आवागमन होता है. इस स्टेशन से प्रतिदिन 91 जोड़ी यात्री ट्रेनें सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों के लिये चलाई जाती हैं.

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