स्वर्ग से कम नहीं यह 10 बीघा में फैला शांति कुटीर, यहाँ ले पर्यावरण का असली मजा

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ मन और तन के लिए शांति और सुकून का स्थान चाहिए। सरदारशहर का शांति कुटीर एक ऐसा स्थान है जहां आप न सिर्फ प्रकृति की गोद में बैठकर हरियाली का आनंद ले सकते हैं, बल्कि ध्यान भी लगा सकते हैं।

 

Saral Kisan - आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ मन और तन के लिए शांति और सुकून का स्थान चाहिए। सरदारशहर का शांति कुटीर एक ऐसा स्थान है जहां आप न सिर्फ प्रकृति की गोद में बैठकर हरियाली का आनंद ले सकते हैं, बल्कि ध्यान भी लगा सकते हैं। शांति कुटीर के प्रभारी शंकरलाल प्रेमानी ने बताया कि रामसुखदास जी महाराज ने साधक संजीवनी का अधिकांश भाग यहीं लिखा था। ऐसे में यहां आने वाले लोगों को ध्यान लगाने के लिए एकांत स्थान मिलता है, जहां वे शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं। शांति कुटीर के प्रभारी शंकरलाल प्रेमानी ने बताया कि कमेटी लगभग दस बीघा क्षेत्र को हरा-भरा करने की कोशिश कर रही है।

यह स्थान भी बाबू शोभाचंद जमड़ की जन्मस्थली है। जमड़ संगीतकार, नाटककार और अन्य क्षेत्रों में प्रवीण थे. वे दिल्ली, मुंबई में अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते और अपनी कमाई को गौशालाओं में देते थे। प्रेमानी बताते हैं कि करीब 100 साल पुरानी शांति कुटीर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आज लोक रंजन परिषद जिम्मेदार है. इस संस्था ने आज शांति कुटीर और बाबू शोभाचन्द जमड़ भवन की सभी व्यवस्थाओं को संभाला है।

फल और औषधीय पौधे

शांति कुटीर के मालिक शंकरलाल प्रेमानी ने बताया कि आज शांति कुटीर में एक हजार से अधिक फल, फ्लूट और औषधीय पौधे हैं। जिन्हें ड्रिप सिस्टम से पानी दिया जाता है। जहां अनार, आंवला, नीबू, बोटल पाम, गुलमोहर, वेल पत्र के पौधे अब पेड़ बन गए हैं। यही कारण है कि सुबह शामसकूंन में दो पल बिताना चाहने वालों का यहां तांता लगा रहता है।

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