जंगल का यह पत्ता रखता है खास भूमिका, दामाद के लिए बनते है खास पकवान

दमाद मिथिलांचल में बहुत महत्वपूर्ण है। इनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती है। इनके लिए भी खास खाना बनाया जाता है। तिलकोर इसमें से एक है।
 

Bihar News:- दमाद मिथिलांचल में बहुत महत्वपूर्ण है। इनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती है। इनके लिए भी खास खाना बनाया जाता है। तिलकोर इसमें से एक है। महिला मालती देवी का कहना है कि यह एक निश्चित जंगल से चुना जाता है। इसे उगाया नहीं जाता। यह प्रकृति से मिलता है। मिथिलांचल में इसका बहुत महत्व है क्योंकि दामाद को विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया गया है। आइए इस विशिष्ट भोजन को जानें।

मालती देवी ने कहा कि मिथिलांचल में दामाद को कितने भी भोजन क्यों न परोसें, अगर तिलकोरका तरूआ नहीं है, तो अतिथि सत्कार में कमी होती है। तिलकोर का तरूआ बहुत अलग है। यह देखने में खूबसूरत होता है, लेकिन खाने में अधिक स्वादिष्ट होता है। यहाँ लोग इसे बनाते और खाते हैं। यह तरुआ करंची होने से अलग हो जाता है। माना जाता है कि अगर अतिथि सत्कार के भोजन के सभी व्यंजनों में तिलकोर का तरुआ नहीं है, तो आपका अतिथि सत्कार संपन्न परिवार में नहीं होगा।

यह बेहद खास तरूआ मामूली सा दिखने वाला पत्ता बनता है, जो झाड़ियों और जंगलों में पाया जाता है। महिला मालती देवी ने कहा कि इसे बनाना बहुत सरल है। तिलकोर के पत्ते से तरुआ और सब्जी भी बनती है। इसका तरुआ खासकर कुरकुरा दामाद के लिए बनाया जाता है।चावल को पहले पीसकर पिठार बनाया जाता है। फिर हल्दी और कुछ मसाला मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है। फिर तिलकोर के पत्ते को उसमें सानकर तेल में मिलाया जाता है। इसे खाने से कई बीमारियां भी दूर होती हैं।

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