यह है पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु, जो खा जाती है सांप
हिमालय की पहाड़ी बकरी है मार्खोर। माना जाता है कि ये सांपों का दुश्मन होते हैं। उन्हें चबाती है और फिर फेंक देती है। पाकिस्तान की आईएसआई ने तो सांप चबाती मार्खोर बकरी को अपना प्रतीक चिन्ह बनाया है। आप इस बकरी की सच्चाई जानते हैं?
Saral Kisan : मर्खोर एक जंगली बकरी है जो हिमालय में रहती है। इसके बारे में कई कहानियां हैं। माना जाता है कि ये पशु सांप का सबसे बड़ा दुश्मन है। उन्हें ढूंढकर मारकर चबा लेता है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का प्रतीक चिंह देखकर आपको लगता है कि ये एक सांप चबाता हुआ मार्खोर है। यही कारण है कि ये पशु पाकिस्तान का राष्ट्रिय एनीमल भी हैं। हम आगे देखेंगे कि क्या ये सचमुच सांप खाते हैं।
दरअसल, मार्खोर फ़ारसी शब्द है जो "सांप खाने वाला" या "सांप-हत्यारा" का अर्थ है।प्रचलित कहानियों के अनुसार, ये जानवर सांपों को अपने सर्पिल सींगों से मारकर खाते हैं। यह भी सोचा जाता है कि सर्पदंश से जहर निकालने में मदद करता है। मार्खोर सांपों को सींगों से मारने या खाने का कोई सबूत नहीं है। लेकिन एक सत्य अवश्य है।
वास्तव में, मार्खोर अपने शक्तिशाली खुरों से हर जगह सांप को मार डालता है। वह अक्सर सांपों को मारने के लिए अपनी घुमावदार सींगों का भी उपयोग करता है। माना जाता है कि मार्खोर क्षेत्रों में सांप नहीं पाए जाते।
चार्ल्स डार्विन ने सोचा कि मार्खोर समकालीन बकरी की शुरुआत होगी। ये शक्तिशाली है। 240 पाउंड का वजन और 06 फीट की ऊंचाई है। जबड़े से पेट के नीचे तक एक घनी दाढी है
मार्खोर उत्तरी भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तुर्किस्तान में 2,000 से 11,800 फीट की ऊंचाई पर रहते हैं। ज्यादातर झाड़ियों वाले जंगलों में वे रहते हैं। वो लड़ाकू हैं, हालांकि मुख्यतः शाकाहारी हैं। जब वे ग्नुप की मादा पर अधिकार जमाना होता है, आपस में वे बहुत लड़ते हैं।
ये झुंड में रहते हैं। झुंड में मार्खोर की औसत संख्या 09 है। मादाएं और बच्चे इसमें शामिल हैं। संभोग के दौरान इनकी संख्या 30 से 100 तक हो सकती है। शिकार भी इनकी आबादी को कम कर रहा है। शिकारी उनके विशिष्ट सींगों से अवैध शिकार करते हैं।
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