UP का यह उपकरण तीन महीने में सीधे करेगा टेढ़े-मेढ़े दांत

कई बार लोगों के दांतों के साथ उसकी जड़ें भी टेढ़ी होती हैं। इन्हें सीधा करने के लिए एक खास तरह की स्प्रिंग का प्रयोग किया जाता है। वह स्प्रिंग छह माह से अधिक दांतों में बांधनी पड़ती थी। जिसके बाद ही दांत और जड़ सीधी होती है। मरीजों की राहत के लिए अब केजीएमयू दंत संकाय के आर्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टरों ने एक खास तरह की स्प्रिंग तैयार की है।
 
Saral Kisan : कई बार लोगों के दांतों के साथ उसकी जड़ें भी टेढ़ी होती हैं। इन्हें सीधा करने के लिए एक खास तरह की स्प्रिंग का प्रयोग किया जाता है। वह स्प्रिंग छह माह से अधिक दांतों में बांधनी पड़ती थी। जिसके बाद ही दांत और जड़ सीधी होती है। मरीजों की राहत के लिए अब केजीएमयू दंत संकाय के आर्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉक्टरों ने एक खास तरह की स्प्रिंग तैयार की है। इससे अब छह के बजाए तीन माह में ही दांत और जड़ें सीधी होंगी। इसका पेटेंट भी कराया गया है।

आर्थोडॉन्टिक्स विभाग के डॉ. ज्ञान पी ने बताया कि तीन प्रतिशत लोगों के दांत और जड़ें टेढ़ी होती हैं। इसकी वजह से दांत और मसूड़ों में समस्या रहती है। भोजन को चबाने में दिक्कत होती है। खाना टेढ़े दांतों में फंस जाता है, जिसमें बैक्टीरिया पनप आते हैं। दांतों में सड़न व उसके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे दांतों को जड़ समेत सीधा करने के लिए खास तरह की रूट अपराइटिंग स्प्रिंग तैयार की गई है। इससे दांत और जड़ एक साथ सीधा किया जा सकता है। 

इस स्प्रिंग को दांतों में दो से तीन माह ही बांधने की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि इसकी आवश्यकता उन मरीजों में भी होती है, जिनके चेहरे की खूबसूरती के लिए कुछ असली दांतों को निकाल कर उस जगह को जबड़े में आगे लगे दांतों को पीछे ले जाकर बंद किया जाता है। डॉ. ज्ञान व डॉ. दीप्ति शास्त्री ने बताया कि रूट अपराइटिंग स्प्रिंग और इंट्रूजन स्प्रिंग का पेटेंट हुआ है। 19 फरवरी 2024 को पेटेंट संबंधी प्रमाण-पत्र भी प्राप्त हो हुआ है। इस पर कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, आर्थोडॉन्टिक्स विभागाध्यक्ष, डॉ. जीके सिंह ने बधाई दी है।

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