उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए वरदान साबित होगी सरसों की यह उन्नतशील किस्में
UP News : उत्तर प्रदेश के किसानों को इस वर्ष अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए राई या सरसों की रबी तिलहनी फसलों में लगायें। प्रदेश में कई प्रयासों के बाद भी राई का क्षेत्रफल बढ़ नहीं पाया है। इसका मुख्य कारण क्षमता में वृद्धि के कारण अन्य महत्वपूर्ण फसलों का क्षेत्रफल बढ़ना है। सीमित सिचाई के साथ इसकी खेती अधिक लाभदायक होती है। उन्नत तकनीकें अपनाने से उत्पादन और उत्पादकता में सुधार होता है।
सिंचित क्षेत्र के लिए सरसो की उन्नतशील किस्में
क्र.सं. प्रजातियाँ पकने की अवधि (दिनों में) उत्पादन क्षमता कु०/हे०
1 नरेन्द्र अगेती राई-4 95-100 15-20
2 वरूणा (टी-59) 125-130 20-25
3 बसंती (पीली) 130-135 25-28
4 रोहिणी 130-135 22-28
5 माया 130-135 25-28
6 उर्वशी 125-130 22-25
7 नरेन्द्र स्वर्ण-रार्इ-8 (पीली) 130-135 22-25
8 नरेन्द्र राई (एन०डी०आर०-8501 125-130 25-30
असिंचित क्षेत्रों के लिए सरसों की उन्नत किस्में
क्र.सं. प्रजातियाँ पकने की अवधि (दिनों में) उत्पादन क्षमता कु०/हे०
1 वैभव 125-130 15-20
2 वरूणा (टा-59) 120-125 15-20
विलम्ब से बुवाई के लिए सरसों की उन्नत किस्में
क्र.सं. प्रजातियाँ पकने की अवधि (दिनों में) उत्पादन क्षमता कु०/हे०
1 आशीर्वाद 130-135 20-22
2 वरदान 120-125 18-20
क्षारीय व लवणीय भूमि हेतु
क्र.सं. प्रजातियाँ पकने की अवधि (दिनों में) उत्पादन क्षमता कु०/हे०
1 नरेन्द्र राई – –
2 सी०एस०-52 135-145 16-20
3 सी०एस०-54 135-145 18-22
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