Personal Loan से बाहर निकलने के ये है सबसे कारगर तरीके
Saral Kisan : अगर आप किसी वजह से पर्सनल लोन (Personal Loan) की रकम नहीं चुका पा रहे हैं तो परेशान न हों। कई ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से लोन के जाल से निकला जा सकता है। इन तरीकों के बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल में एक सर्कुलर जारी कर बैंकों से कहा है कि वे विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर लोन नहीं चुकाने वाले लोग) के साथ लोन का सेटलमेंट करें और 12 महीने बाद उस शख्स को अगर जरूरत हो तो फिर से लोन दें।
जरूरी नहीं कि हर कस्टमर (लोन लेने वाला शख्स) विलफुल डिफॉल्टर ही हो। कई बार आर्थिक स्थिति खराब होने पर भी कोई पर्सनल लोन चुकाने में असमर्थ हो जाता है। कई लोग ऐसे होते हैं जो एक लोन को चुकाने के लिए दूसरा लोन और फिर उसे चुकाने के लिए तीसरा लोन ले लेते हैं। आखिरी में एक स्थिति ऐसी आती है कि वे लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं। कह सकते हैं कि वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। अगर आप भी कर्ज के जाल में फंस गए हैं तो परेशान न हों। ऐसा होने पर आपके लिए सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। आप थोड़ी-सी आर्थिक सूझबूझ से लोन के जाल से हमेशा के लिए बाहर निकल सकते हैं। लोन के जाल से निकलने के कई विकल्प मौजूद हैं।
दो तरह के होते हैं लोन:
1. सिक्योर्ड: ऐसा कर्ज जिसमें बैंक या फाइनैंशल संस्था लोन के बदले कोई संपत्ति या संपत्ति के कागज गिरवी रखती है। अगर लोन लेने वाला लोन न चुका पाए या लोन लेने वाले की किसी वजह से मृत्यु हो जाए तो बैंक गिरवी रखी गई संपत्ति को बेचकर अपनी रकम पा सकता है। ऐसे लोन की सालाना ब्याज दर 6.5% से लेकर 10% हो सकती है। इस तरह के लोन में होम लोन, कार लोन, गोल्ड लोन आदि आते हैं।
2. अनसिक्योर्ड: इसे बैंक या फाइनैंशल संस्था लोन लेने वाले शख्स के क्रेडिट स्कोर, सैलरी या बैंक से संबंध के आधार पर देती है। इसमें बैंक कुछ भी गिरवी नहीं रखता। लोन न चुकाने पर या लोन लेने वाले शख्स की मृत्यु होने पर लोन की रकम बैंक गारंटर से वसूल सकता है। ऐसे लोन की सालाना ब्याज दर 10% से 20% या इससे ज्यादा हो सकती है। पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड पर लोन आदि अनसिक्योर्ड लोन हैं।
साइन नहीं तो गारंटर नहीं
अगर आपने लोन नहीं लिया है लेकिन किसी बैंक या फाइनैंशल संस्था के एजेंट का आपके पास फोन आए और वह कहे कि आपके किसी दोस्त या जानकार ने लोन लिया है और आप इसमें गारंटर हैं। आपका दोस्त लोन नहीं चुका रहा है और अब लोन आपको ही चुकाना होगा। ऐसे में एजेंट से पूछें कि क्या गारंटी के पेपर पर मेरे साइन हैं? दरअसल, गारंटर वह शख्स माना जाता है जो पेपर पर साइन करता है। लोन लेने वाला शख्स अगर लोन नहीं चुकाता है तो बैंक गारंटर से वसूली कर सकता है। अगर आपने साइन नहीं किए हैं तो आप गारंटर हैं ही नहीं। ऐसे में एजेंट से कहें कि वह फिर से फोन न करें, नहीं तो उसके खिलाफ कोर्ट में हैरेसमेंट का केस दर्ज करवा दिया जाएगा। पेपर पर साइन हों, पर गवाह के तौर पर, तब भी आपकी देनदारी नहीं बनती।
सिबिल स्कोर:
लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर काफी माने रखता है। यह तीन अंकों की एक संख्या होती है जो 300 से 900 के बीच होती है। यह संख्या जितनी ज्यादा होगी, क्रेडिट स्कोर उतना ही अच्छा माना जाएगा और लोन मिलने के आसार उतने ही बढ़ जाते हैं। वहीं, बैंक से किसी भी तरह के लोन के लेन-देन और क्रेडिट कार्ड की पेमेंट से जुड़े रेकॉर्ड की रिपोर्ट क्रेडिट रिपोर्ट कहलाती है।
तो बिगड़ जाता है खेल:
अगर आप क्रेडिट कार्ड या लोन की कोई ईएमआई समय पर नहीं देते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। यही नहीं, अगर आप डिफॉल्टर की श्रेणी में आ जाते हैं तो हो सकता है कि आपका क्रेडिट स्कोर जीरो भी हो जाए। अगर ऐसा होता है तो हो सकता है कि बैंक आपको ज़िंदगीभर कोई लोन ही न दे। सामान्यत: 500 से कम क्रेडिट स्कोर वाले शख्स को बैंक लोन नहीं देते हैं।
फ्री में यहां चेक करें सिबिल स्कोर:
CIBIL की ऑफिशल वेबसाइट cibil.com पर सिबिल स्कोर चेक कर सकते हैं। इसके अलावा Equifax, TransUnion CIBIL, Experian और CRIF Highmark पर भी सिबिल स्कोर चेक कर सकते हैं। साथ ही Paytm, Bajaj Finserv, Bank Bazaar, Paisa Bazaar आदि प्लैटफॉर्म पर भी सिबिल स्कोर चेक कर सकते हैं।
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