पशुओं में बांझपन की समस्या का होगा एक झटके में समाधान, बस रखें इन बातों का ध्यान

खेती के बाद किसान आर्थिक कमाई के लिए पशुपालन करते हैं। परंतु पशुओं का बांझपन बहुत से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है। जब पशु बांझपन का शिकार हो जाते हैं, तो पशुपालकों और बड़े डेयरी उद्योगों को भी अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है,
 

Saral Kisan : खेती के बाद किसान आर्थिक कमाई के लिए पशुपालन करते हैं। परंतु पशुओं का बांझपन बहुत से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है। जब पशु बांझपन का शिकार हो जाते हैं, तो पशुपालकों और बड़े डेयरी उद्योगों को भी अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है, बता दे कि पशुओं की देखभाल करना करने में एक बड़ा खर्च आता है और किसान की मेहनत भी लगती है। यही कारण है कि किसानों को ऐसे नुकसान से बचने के लिए कुछ विशिष्ट उपायों का पालन करना चाहिए ताकि उनके पशु बांझपन की समस्या का सामना नहीं करना पड़े और वे एक आर्थिक बोझ नहीं बनें। पशुओं को बांझ होने पर अधिकतर देशों में बूचड़खानों में भेजा जाता है।

पशुओं में बांझपन होने के ये हो सकती है वजह

हर दस पशु में से एक बांझ हो सकता है। यानी 10 प्रतिशत पशु बांझपन का शिकार होते हैं। पशुओं में हार्मोन असंतुलन इसका सबसे बड़ा कारण है। इसके बावजूद, बांझपन दर को कम किया जा सकता है। मादा बांझपन के कई कारण हैं, जिनमें कुपोषण, जन्मजात दोष और हार्मोन असंतुलन शामिल हैं। ताकि पशुओं में दिखने वाले लक्षणों के हिसाब से सही समय में ब्रीडिंग किया जा सके, किसान को पशुओं पर खास नजर रखनी चाहिए, खासकर जब पशु यौन चक्र में हैं। पशुओं में बांझपन की समस्या भी हो सकती है अगर सही समय पर ब्रीडिंग नहीं होती है।

पशुओं को बांझपन से बचाने के लिए इन तीन बातों का ध्यान रखें।

जन्म से ही बच्चे को पौष्टिक भोजन देते रहें और मां के दूध को भरपूर पीते रहें। साथ ही पशुओं को हमेशा एक संतुलित आहार देना सुनिश्चित करें। जिसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की भरपूर मात्रा होती है।

कामोत्तेजना के दौरान ही ब्रीडिंग करें। यदि समय पर कामोत्तेजना नहीं आती, तो उनकी जांच करके इलाज करना चाहिए।

गर्भाधान के 60 से 90 दिनों के भीतर एक योग्य पशु चिकित्सक से जांच करवाएं। पशुओं को गर्भाधान से पहले डीवर्मिंग जरूर करें ताकि पेट के कीड़े दूर हो सकें।

पशुओं को बांझपन से बचाने के कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

प्रसव से दो महीने पहले तक पशुओं को दूध नहीं देना चाहिए, फिर उसे पर्याप्त आराम देना चाहिए।
पशुओं को गर्भावस्था के दौरान जोखिम और परिवहन से बचना चाहिए।
पशुओं को पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक हरा चारा मिलाना चाहिए।
गर्भपात के बाद 12 घंटे तक जेर गिरने का इंतजार करना चाहिए। हाथ से खींचने की कोशिश नहीं करें। यदि जेर न गिरे तो पशु चिकित्सक से जांच करवाएं।
बछड़े को बांझपन और जन्मजात दोषों से बचाने के लिए सांड के प्रजनन इतिहास की जानकारी चाहिए।
पशु चिकित्सक से ही गर्भाधान कराएं।

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