उत्तर प्रदेश समेत 3 राज्य जोड़ेगा नया एक्सप्रेसवे, 100 से ज्यादा गांवों की जमीन अधिग्रहण कर बनेगा

UP News : गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद  उत्तर प्रदेश समेत तीन राज्यों को तगड़ा फायदा पहुंचाने वाला है. यह एक्सप्रेसवे 540 किलोमीटर लंबा होगा. पहले जो प्रोजेक्ट तैयार हुआ था उसके अनुसार 115 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाना था लेकिन अब गांव की संख्या बढ़ने वाली है. 

 

Gorakhpur Siliguri Expressway  : गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे निर्माण को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है. इस एक्सप्रेसवे को लेकर अब नया रूट तय कर लिया गया है. नए रूट के अनुसार अब इस एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट करने के लिए नया प्लान तैयार किया गया है. NHAI मैं इस प्लान पर कार्य भी शुरू कर दिया है.

नई रणनीति से इसे तैयार होगा एक्सप्रेसवे

गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच की दूरी को कम करने के लिए अब नए रूट के मुताबिक अब इस एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा. गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण की जो प्रक्रिया चली थी अब उसमें थोड़ा चेंज कर दिया गया है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट करने के लिए नई रणनीति से इसे तैयार किया जाएगा. पहले यह एक्सप्रेसवे  कुशीनगर गोरखपुर लिंक रोड से शुरू होना था जो अब कुशीनगर से आगे बढ़कर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिंक रोड से कनेक्ट होगा. 

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होने के बाद सिलीगुड़ी और मोतिहारी से राजधानी दिल्ली आना जाना आसान हो जाएगा. सिलीगुड़ी और मोतिहारी से दिल्ली आवागमन करने वाले अब गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के जरिए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लिंक रोड से जुड़कर सीधे दिल्ली का सफर कर सकेंगे. बता दें कि पहले यह सड़क गोरखपुर बाईपास पर जाकर खत्म हो रही थी. 

बिहार के आठ जिलों का होगा कनेक्शन

बिहार के आठ जिलों से होकर यह एक्सप्रेस वे गुजरने वाला है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जानकारी देते हुए बताया कि  पूर्वी चंपारण में  95 किलोमीटर में एक्सप्रेसवे का निर्माण होना है. इसके अलावा पश्चिमी चंपारण में बेरिया नूतन के कुल 23 किलोमीटर में 24 गांव शामिल होंगे. शिवहर में 17 गांव में से 16 किलोमीटर का  निर्माण होना है. विभागीय स्तर पर सरकार के नए दिशा निर्देश के अनुसार अब इसका कार्य आरंभ कर दिया गया है. अब इसको लेकर डीपीआर भी बनाई जा रही है. गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक 540 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे बिहार के आठ जिलों से होकर गुजरने वाला है. जिसमें बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, किशनगंज, अररिया शामिल है। 

एक्सप्रेस-वे पर 16 फ्लाईओवर बनाए जाएंगे 

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर सबसे बड़े पुल का निर्माण भी किया जाएगा. इस एक्सप्रेसवे पर छोटे-मोटे 16 पुल बनाए जाएंगे. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जानकारी देते हुए बताया कि गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर बेतिया और पूर्वी चंपारण के बीच कोसी और गंडक नदी पर सबसे बड़े पुल का निर्माण किया जाएगा. इस एक्सप्रेसवे पर बूढी गंडक, बागमती समेत कई छोटी-मोटी नदियों पर पूलों का निर्माण किया जाना है. गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के 540 किलोमीटर लंबी दूरी में 17 हजार 700 करोड़ रुपए की लागत से सड़क-पुलिया का निर्माण होना है. आम जनता की सहूलियत के लिए एक्सप्रेस वे पर 25 इंटरचेंज सड़क बदलने के लिए बनाए जाएंगे. गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर 31 मुख्य ब्रिज बनाए जाएंगे. सबसे बड़ा पुल कोसी गंडक नदी पर बनाया जाएगा. यह एक्सप्रेस वे कई रेलवे लाइनों से होकर गुजरने वाला है. जिसके लिए जो रेलवे पूलों का निर्माण किया जाएगा.

115 गांवों से ज्यादा में होगा जमीन अधिग्रहण

NHAI के अधिकारी अमरेश कुमार के अनुसार पहले सर्वे के मुताबिक सड़कों और पुल-पुलिया पर लगभग 17 हजार 700 करोड़ रुपये के लागत आने वाली हैं। अब यह राजमार्ग गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे को उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिंक रोड से कनेक्ट किया जाएगा। दिल्ली आने जाने वाले लोगों को इससे लाभ मिलेगा। एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए सात हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। NHAI पहले प्रोजेक्ट के अनुसार 115 गांव की जमीन अधिग्रहण करनी थी, लेकिन अब इसमें ज्यादा गांवों की जमीन अधिग्रहण होनी हैं। 

कुशीनगर और देवरिया जिले की जमीन भी अधिग्रहण होगी 

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस के नए रूट के मुताबिक अब कुशीनगर और देवरिया जिले की जमीन भी अधिग्रहण की जानी है. इस एक्सप्रेसवे का निर्माण ग्रीनलैंड को छोड़कर किया जाएगा. गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण में लगभग 32000 करोड़ की संभावित राशि खर्च होने की संभावना थी. लेकिन अब इसके निर्माण की लागत बढ़ने वाली है. क्योंकि शुरुआत में यह सड़क 4 लेन बनाई जानी है लेकिन इसका जमीन अधिग्रहण सिक्स लेन के हिसाब से किया जाएगा. इस एक्सप्रेसवे की चौड़ाई 75 मीटर होगी. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण का लक्ष्य 2025 तक का रखा गया है.

तीन राज्यों को होगा तगड़ा फायदा 

भारत नेपाल सीमा के समांतर इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को भारत माला परियोजना के माध्यम से बनाया जा रहा है. इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच का सफर कम हो जाएगा. गोरखपुर में इसकी शुरुआत चौरी चौरा तहसील क्षेत्र में बसडिला गांव से होगी, जो गोरखपुर-लखनऊ फोरलेन बाईपास के पास है। गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेस, जो यूपी, बिहार और बंगाल से गुजरेगी, पूर्वोत्तर राज्यों को जाने वाले वाहनों को एक अलग वैकल्पिक और आसान रास्ता देगा। NHAI ने भोपाल की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को एक्सप्रेस वे का डीपीआर बनाने के लिए कहा है।

15 घंटे का सफर मात्र 6 घंटे में होगा पूरा 

इस एक्सप्रेसवे के लिए साल 2022 से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इसमें कोई भी पुरानी सड़क शामिल नहीं की गई है.  गोरखपुर और सिलीगुड़ी को कनेक्ट करने वाली कोई सीधी सड़क न होने की वजह से लोगों को इन शहरों के बीच सफर करने में 15 घंटे का समय लग जाता है. गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद यह दूरी 6 घंटे में पूरी की जा सकेगी.