उत्तर प्रदेश के इस गांव का बदला नाम, एक रेलवे स्टेशन का भी नाम हुआ चेंज, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

UP News : उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यूपी सरकार एक गांव का नाम बदलने जा रही है। वहीं एक रेलवे स्टेशन का नाम बदला जा चुका है। दरअसल, नाम बदलने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूदी दे दी है। आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं गांव का नाम बदलकर क्या रखा जाएगा।
 

Saral Kisan : यूपी सरकार ने सीतापुर के गांव अमानुल्लापुर का नाम बदलकर जमुना नगर कर दिया है। इस संबंध में शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर कुमार गर्ग ने अधिसूचना जारी कर दी है। सीतापुर के डीएम ने इस संबंध में मंडलायुक्त लखनऊ को प्रस्ताव भेजा था। उन्होंने संस्तुति करते हुए राजस्व परिषद से इस पर विचार करने का अनुरोध किया था।

भूमि प्रबंधन समिति ने इसके आधार पर प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसके आधार पर शासन स्तर से गांव का नाम बदलने संबंधी सूचना जारी की गई है। अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में दी गई व्यवस्था के आधार पर गांव का नाम बदल गया है।अब अमानुल्लापुर को जमुना नगर के नाम से जाना जाएगा।

अगस्त में केंद्र से नाम बदलने की मिली थी मंजूरी

सीतापुर जिले के गांव अमानुल्लापुर समेत केंद्र सरकार ने एक रेलवे स्टेशन और राजस्थान के तीन गांवों के नामों को बदलने को लेकर अगस्त में मंजूरी दी थी। केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान के उदयपुर जिले की कनोड तहसील में स्थित ‘खिमवातों का खेड़ा का नाम बदलकर खिमसिंहजी का खेड़ा, जोधपुर जिले की फलोदी तहसील में ‘बेंगती कला का नाम बदलकर ‘बेंगती हरबुजी और जालौर जिले की सायला तहसील में ‘भुंडवा का नाम बदलकर भांडवपुरा करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दिया जा चुका है।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित अमानुल्लापुर का नाम बदलकर जमुना नगर करने के लिए भी एनओसी दी गई है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने ओडिशा के खोरधा मंडल में हरिदासपुर-पारादीप में रत्नागिरी रोड रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर उदयगिरी-रत्नागिरी रोड रेलवे स्टेशन करने की भी मंजूरी दी है।

नाम बदलने की क्या है प्रक्रिया

अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय रेल मंत्रालय, डाक विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति लेने के बाद किसी स्थान या स्टेशन का नाम बदलने की मंजूरी देता है। इन संगठनों को यह पुष्टि करनी होती है कि उनके रिकॉर्ड में प्रस्तावित नाम से मिलता-जुलता कोई शहर या गांव नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि किसी गांव या कस्बे या स्टेशन का नाम बदलने के लिए कार्यकारी आदेश की जरूरत होती है।

ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश में बिजली बिल वसूलने गई टीम के साथ गलत हरकत, मुश्किल से बचाई अपनी जान